झारखंड सरकार, आवास बोर्ड के भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर करवाएगी सीआईडी जांच? भ्रष्टाचार की दौड़ में आवास बोर्ड के एमडी बृजमोहन कुमार और ईई संजीव कुमार सबसे आगे!
झारखंड में भ्रष्टाचार की दौड़ प्रतियोगिता होती है तो प्रथम पुरस्कार की हकदार होंगे झारखंड आवास बोर्ड के एमडी ब्रजमोहन कुमार और ईई संजीव कुमार ! झारखंड की जनता के बीच झारखंड आवास बोर्ड को भ्रष्ट बोर्ड के नाम से संज्ञा दिया जाने लगा है। आवास बोर्ड के पदाधिकारी 500 करोड़ अवैध वसूली करने के लिए और अधिक से अधिक वसूली करने के लिए 2300 घरों को कब्जा करा दिए गए ,जिससे प्रति माह वसूली का रास्ता साफ हो गया।
चौंकिए नहीं लोगों का कहना है कि जनाब यह झारखंड है,जहां जायज को नजायज और नाजायज को जायज करना बाएं हाथ का खेल है । जिसे अधिकारी अपना अभिमान और अधिकार समझते हैं। आवास बोर्ड भ्रष्टाचार की इबादत लिखने के लिए मशहूर है। कमीशन के लिए 200 करोड़ के लिए 486 फ्लैट तक बनवा दिए गए। मानो भ्रष्टाचारियों के लिए लूट का छूट का लाइसेंस दे दिया गया हो, जिसे देखने वाला कोई भी पदाधिकारी आंख मूंद कर बैठे हुए हैं। उच्च स्तर पर बैठे लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है, और अगर किसी माध्यम से इन्हें जानकारी मिल भी जाती है तो एक भ्रष्ट कमाई का एक हीसेदार बन जाते हैं। लोगों का आरोप है कि 20 वर्षों से आम लोगों के आशियाना के सपने दिखाकर सिर्फ डाका ही नहीं डाला बल्कि जमीन ,घर ,और फ्लैट, आवंटन के नाम पर अरबों रुपए की अवैध कमाई की गई, जो झारखंड सरकार के लिए जांच का विषय है। यह तब खुलासा हुआ जब आवास बोर्ड के पूर्व सचिव निरंजन कुमार द्वारा सरकार को पत्र लिखकर इसकी जांच कराने का आग्रह किया गया और उनके आग्रह पर जांच हुई तो पता चला कि रांची ,जमशेदपुर, हजारीबाग ,धनबाद और दुमका में करीब 500 करोड़ रुपए के 23 00 घरों ,जमीन ,पर बोर्ड के अधिकारियों कर्मचारियों ने अतिक्रमणकारियों से मिलकर कब्जा करा दिया है । घर, फ्लैट ,और जमीन, आवंटित करने की जगह कमीशन के लिए और 200 करोड़ रुपए से राज्य में 486 नए फ्लैट बनवा दिए गए जिसकी कोई खरीदार नहीं है। जो राज्य की राजस्व की हानि है। नगर विकास विभाग के अपर सचिव एके रत्न की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी ने इस खेल में आवास बोर्ड के एमडी बृजमोहन कुमार सचिव जार्ज कुमार और भू संपदा पदाधिकारी सह कार्यपालक अभियंता संजीव कुमार की भूमिका संदिग्ध बताई है। जांच कमेटी द्वारा कब्जे के मामले को अपराधिक और लापरवाही के बताते हुए विभागीय सचिव से गहनता से जांच करने के लिए अनुशंसा की गई है l कमेटी द्वारा एमडी सचिव और कार्यपालक अभियंता पर लगे सभी आरोपों को प्राप्त जानकारी के अनुसार सही पाया गया है। कई आरोपों से घिरे एमडी बृजमोहन कुमार, सचिव जॉर्ज कुमार और भू संपदा पदाधिकारी सह कार्यपालक अभियंता संजीव कुमार पर कई संगीन आरोप सत्यापित किए गए हैं। रांची, हजारीबाग धनबाद, जमशेदपुर और दुमका में 2294 घर फ्लैट और जमीन आनावंटित है ।ये अधिकांश फ्लैट आरक्षित वर्ग के हैं। सामान्य आवंटन प्रक्रिया में आरक्षित फ्लैट खाली रह जाते हैं ।परंतु जब की प्रावधान है कि इन्हें नियमानुसार गैर आरक्षित करके आवंटित किया जा सकता है। परंतु इसके बावजूद इसे आवंटित नहीं किया गया ।जिसे अफसरों की आपराधिक लापरवाही माना गया है ।इसमें बोर्ड के एमडी सचिव और संपदा पदाधिकारी -कार्यपालक अभियंता की भूमिका संदिग्ध और संगीन प्रतीक बताया गया है । कार्यपालक अभियंता की भूमिका तो राज्य गठन के समय से ही संदिग्ध प्रतीत होती रही है । इसके बावजूद पैसे पैरवी के बल पर 9 जगहों के प्रभार में पदस्थापित हैं। वही आरोपों की कड़ी में आगे बढ़ते हैं तो बताया गया कि बिना बिक्री हुए फ्लैट को स्वार्थ बस कब्जा अतिक्रमणकारीयो से कराया गया है । चर्चा है कि इसके एवज में मोटी रकम वसूली गई है ।जिसकी थाना में मात्र सूचना देकर छोड़ दी गई। जिस पर कोई एफ आई आर नहीं किया गया है। आरोपों की कड़ी मे आगे बढ़ते है एक और आरोपों की फेहरिस्त की लंबी लाइन खींची मिलती है जिसमें बताया गया है कि 486 फ्लैट बनाकर सरकारी राजस्व की क्षति कराई गई। पूर्व से बने हुए है फ्लैट नहीं बिके और नए बनवा दिए गए। जिससे सरकारी राजस्व की क्षति हुई। इस पूरे मामले में संवादाता द्वारा कई बार एमडी को फोन किया गया पर एमडी बृजमोहन कुमार द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया। वहीं इस पूरे मामले में संवाददाता ने राज्य के जब एक पदाधिकारी से जानकारी ली तो उन्होंने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस पूरे मामले में सीआईडी जांच की बातें प्रशासनिक गलियारों में चल रही है। देखना अब यह है कि इस भ्रष्टाचार की आकुंठ में डूबे आवास बोर्ड के पदाधिकारियों के ऊपर झारखंड सरकार किस तरह की कार्रवाई करती है या यूं ही पैसे पैरवी के बल पर इन फाइलों को दबा दिया जाएगा, और जांच आंच की तपिश में जलकर खाक हो जाएंगे।
ए के मिश्र