Ranchi. झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो महीने में पेसा कानून की नियमावली नोटिफाई करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को लागू नहीं होने पर नाराजगी जताई. पेसा के प्रावधानों के लिए राज्य सरकार ने सार्वजनिक परामर्श ड्राफ्ट जारी किया था. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों व राज्य सरकार का पक्ष सुना. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो माह के अंदर पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश दिया.
खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि झारखंड राज्य की स्थापना यहां के निवासियों के हितों की रक्षा को लेकर की गयी, लेकिन पेसा नियमावली नहीं बनायी गयी. संविधान के 73वें संशोधन के उद्देश्यों के अनुरूप तथा पेसा कानून के प्रावधान के अनुसार पेसा नियमावली बना कर लागू किया जाये. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजित कुमार ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि वर्ष 1996 में केंद्र सरकार नेे पेसा कानून लागू किया था. इसका उद्देश्य राज्य के शिड्यूल एरिया में आदिवासियों के हितों की सुरक्षा करना था, लेकिन एकीकृत बिहार तथा झारखंड गठन से लेकर अब तक राज्य सरकार द्वारा कानून के तहत नियमावली नहीं बनायी गयी.
वर्ष 2019 में नियमावली का ड्रॉफ्ट तैयार किया गया. जब लागू नहीं किया गया, तो हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी. पिछले वर्ष नवंबर 2023 में पुन: नियमावली का ड्रॉफ्ट तैयार किया गया, जिसे लागू नहीं किया गया है. वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा.