Ranchi. झारखंड हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सोमवार को दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया. खंडपीठ ने कहा कि झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी काफी गंभीर मामला है. इसकी जांच के लिए दो आयोग गठित किये गये थे, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी. स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने के लिए यह केस बिल्कुल फिट है. इसलिए मामले की जांच सीबीआइ को साैंपी जाती है. पूर्व में 20 जून को मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई पूरी होने पर खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इससे पहले मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने राज्य सरकार द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से दायर किये गये जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट के कई बिंदुओं पर खंडपीठ का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया था कि आयोग ने नियुक्ति गड़बड़ी की जांच की थी. अपनी रिपोर्ट में 32 तरह की अनुशंसा की थी तथा एनेक्सचर में दस्तावेज भी संलग्न किया था, लेकिन जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग को जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की सिर्फ रिपोर्ट दी गयी, उसके साथ संलग्न दस्तावेज नहीं दिया गया. इसलिए उन्होंने सिर्फ रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर दी. विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट जब विधानसभाध्यक्ष को मिली थी, तो उन्होंने उसे खोल दिया.
इसके बाद ही उसका अध्ययन करने के लिए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग बना दी गयी. अवैध नियुक्तियों के लिए तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष जिम्मेवार रहे हैं. उन्होंने खंडपीठ को यह भी बताया था कि झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष विधानसभा समिति के सदस्य थे. उक्त समिति ने विधानसभा नियुक्ति गड़बड़ी मामले की जांच कर रिपोर्ट दी थी तथा सीबीआइ से मामले की जांच कराने की बात कही थी. अधिवक्ता श्री कुमार ने इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आग्रह किया है.