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झारखंड में चल रहा अनाज कारोबारियों का सिंडिकेट,  गरीबों का अनाज कालाबाजारी, अधिकारियों के पेट में।

झारखंड में चल रहा अनाज कारोबारियों का सिंडिकेट,
गरीबों का अनाज कालाबाजारी, अधिकारियों के पेट में।
ऐसे तो कोल्हान प्रमंडल तीन मुख्यमंत्रियों का क्षेत्र होने एवं औद्योगिक क्षेत्र जमशेदपुर होने के कारण झारखंड में ही नहीं पूरे देश के सभी क्षेत्रों में बहुचर्चित एवं सर्वविदित क्षेत्र है। भ्रष्ट और भ्रष्टाचारी का अंतर यहां के लिए आकाश से धरती तक का होना चाहिए था। आम जनता की भी यही अपेक्षा थी, पर सच्चाई इसके ठीक विपरीत बयां कर रही है। यहां गरीबों का अनाज कालाबाजारी, माफियाओं और पदाधिकारियों की पेट में जा रहा है ।ऊंचा स्तर पर बैठे लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है, और अगर किसी माध्यम से इन्हें जानकारी मिल भी जाती है तो एक भ्रष्ट कमाई का एक हिस्सेदार बन जाते हैं। विगत लगभग 2 वर्ष पहले जमशेदपुर के मरीन ड्राइव पर 300 अनाज की बोरियां जन वितरण प्रणाली के गरीबों की अनाज फेंकी हुई मिली थी। परंतु मामले तो दर्ज हुए लेकिन करवाई के मामले में कुछ कहा नहीं जा सकता। क्योंकि करवाई, कागजी करवाई ही रह गई। वर्तमान जो स्थिति है वह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि  किस तरह कालाबाजारी ,माफिया ,सफेदपोश,आपूर्ति विभाग के पदाधिकारी ,एवं स्थानीय प्रशासन से सांठगांठ कर खुलेआम गरीबों के अनाज को बाजारों में ऊंचे मूल्य पर बेचकर मालो माल हो रहे हैं। जिसे रोक पाना विभागीय मंत्री श्री रामेश्वर उरांव एवं विभागीय सचिव श्री अरुण कुमार के लिए चुनौती बना हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जहां पदाधिकारियों की सौ रुपया ₹50 ₹200 प्रति बोरा हिस्सेदारी के रूप में लिए जाने की चर्चाएं होती है। जिसके बल पर ही कालाबाजारी ,अनाज माफिया बेधड़क, खुलेआम, बेरोकटोक गरीबों के अनाज को ऊंचे मूल्य पर बेच रहे हैं और गरीब अनाज मिलने की आस में हमेशा जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों के दुकान के आगे चक्कर लगाते रहते हैं ।दो तीन माह पर एक बार उन्हें अनाज बहुत मुश्किल से इन्हें मिलता है। आम आदमी डीलरों के दुकान के आगे लाइन लग कर दुकान खुलने की इंतजार में बैठे रहते हैं ।लेकिन दुकानदार लिंक फेल होने की बहाना बनाकर, तो कभी और कुछ बहाना बनाकर दुकान खुलते ही नहीं हैं, और गरीबों के अनाज गरीबों के मिलने के बजाय, काला बाजारीयो में भेज दिए जा रहे हैं।
यह मामला तब उजागर हुआ जब पोटका में एक ट्रक पलटी हो गया और उसमें कालाबाजाररीयों से लदे अनाज सड़क पर बिखर गए। जिसे विधायक संजीव सरदार ने गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की जिसके आलोक में गाड़ी मालिक और ड्राइवर पर पोटका थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। फिर यहीं से शुरू हुई कलाबाजारीयो की काली कमाई की रहस्य खुलने की पटकथा । इधर झारखंड युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष बबन सिंह द्वारा जिला के पदाधिकारियों को हो रहे अनाज की कालाबाजारीयों की जानकारी दी गई। इसके आलोक में जिला प्रशासन द्वारा मजिस्ट्रेट नियुक्त कर आगे की करवाई प्रारंभ करते हुए लॉ एंड ऑर्डर नंदकिशोर लाल को मजिस्ट्रेट बनाते हुए जिला आपूर्ति पदाधिकारी नवीन कुमार सिंह ,सीसीआर पुलिस उपाधीक्षक अरविंद कुमार ,आपूर्ति पदाधिकारी जेपी श्रीवास्तव द्वारा टीम बनाकर छापामारी प्रारंभ किया गया। छापामारी की पहली कड़ी में साकची थाना अंतर्गत गुरु नानक बस्ती में धावा बोला गया। जिसमें बड़े पैमाने पर सरकारी अनाज को काला बाजारीयो से जप्त किया गया। फिर मुंनसा सिंह बागान एरिया, केरला समाजम के पास छापामारी किया गया ।जहां पर भी बड़े पैमाने पर सरकारी आनाज बरामद किए गए। इसी कड़ी में छापामारी को आगे बढ़ाते हुए रिफ्यूजी मार्केट परमेश्वरी स्टोर में छापामारी की गई ।जहां पर भी बड़े पैमाने पर सरकारी अनाज को जप्त किया गया। इस तरह जमशेदपुर के साकची गोलमुरी सहित विभिन्न क्षेत्रों में छापामारी कर बड़े पैमाने पर हो रहे सरकारी अनाज के कारोबार को खुलासा किया गया। ऐसे राशन जन वितरण प्रणाली की दुकानों को पदाधिकारी सरकारी नियमानुसार ही जांच करते तो आज इतने बड़े पैमाने पर गरीबों की अनाज का कालाबाजारी नहीं होता। क्योंकि नियमानुसार जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों की जांच आयुक्त ,उपायुक्त ,डीएसओ ,एसडीओ प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी सहित जन प्रतिनिधियों को भी करनी है ।परंतु गरीबों के मिलने वाले अनाज का हश्र और सच आज सबके सामने हैं। झारखंड के सभी जिलों में कमोवेश यही स्थिति है। अगर जमशेदपुर के सही से कालाबाजारीयों की जांच हो तो पड़ोसी जिला सरायकेला-खरसावां भी इसके तफ्तीश में झुलसेगे और तपेगे। क्योंकि सरायकेला – खरसावां जिले में भी कालाबाजारीयों के एक मजबूत गठजोड़ है। जिसमें प्रशासन कालाबाजारी माफिया और सफेदपोश के संरक्षण में फल फूल रहे हैं। यहां भी कई बार सरकारी अनाज को पकड़े गए हैं, और मामले भी दर्ज हुए हैं। मगर अभी तक दर्ज व्यक्तियों को पुलिस पकड़ नहीं
पाई है , और खुलेआम घूम रहे हैं ।जिसे लूट में छूट करने का मानो लाइसेंस मिल गया हो। कालाबाजारीयो का बड़े पैमाने पर सरायकेला खरसावां में भी अवैध कालाबाजारी हो रहा है। सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड, राजनगर प्रखंड, चांडिल प्रखंड, सरायकेला प्रखंड और खरसावां प्रखंड लोगों के बीच कालाबाजारी को लेकर चर्चाओं में है। झारखंड में चल रहे कालाबाजारी ,माफियाओं की सिंडिकेट को तोड़ना विभागीय मंत्री एवं सचिव के लिए मुश्किल है पर असंभव नहीं है ! ऐसी चर्चाएं जोरों पर चल रही है ।देखना यह है कि क्या झारखंड के गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन गरीबों के अनाज कालाबाजारी रोक पाते हैं या नहीं। विभागीय मंत्री और सचिव इसे कितने गंभीरता से लेते हैं? इस पर अंकुश लगा पाते हैं या या नहीं ! यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। वही एक पदाधिकारी ने संवाददाता को नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस तरह के हो रहे काला बाजारी एवं कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए एसआईटी का गठन कर जांच कराया जा सकता है।
ए के मिश्र

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