Ranchi. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी, जिसमें राज्य के वरिष्ठ पुलिस और सरकारी अधिकारियों से जुड़े कथित अवैध कोयला खनन की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच का निर्देश दिया गया था. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने अरूप चटर्जी नामक व्यक्ति से जवाब मांगा, जिन्होंने राज्य, खासकर धनबाद जिले, में कोयला खनन के आरोपों की सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
पीठ ने आदेश दिया, ‘नोटिस जारी करें, जिसका चार सप्ताह में जवाब दिया जाए. अगले आदेश तक उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर रोक रहेगी.’शीर्ष अदालत का यह आदेश झारखंड सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के तीन अक्टूबर के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आया है. राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उच्च न्यायालय के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि यह (आदेश) एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर पारित किया गया है, जो खुद कई मामलों में आरोपी है. उन्होंने सीबीआई द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश पर की गई कार्रवाई की गति पर सवाल उठाया और विभिन्न थानों में दर्ज अवैध खनन और कोयले की ढुलाई मामलों की जानकारी मांगी.
सिब्बल ने बताया कि झारखंड ने अपने अधिकार क्षेत्र में मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. उच्च न्यायालय ने तीन अक्टूबर को जारी एक सख्त आदेश में, पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने में निष्क्रियता पर आलोचनात्मक टिप्पणी की थी. इसने कहा था कि धनबाद जिले में अवैध खनन के संबंध में राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए गए थे.
पीठ ने निर्देश दिया, ‘‘उपर्युक्त (तथ्यों) के मद्देनजर, सीबीआई को वर्तमान रिट याचिका की शिकायत के संबंध में प्रारंभिक जांच का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है.’’ झारखंड स्थित पत्रकार होने का दावा करने वाले चटर्जी ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि कई पुलिस और सरकारी अधिकारी धनबाद और उसके आसपास बंद या गैर-संचालित खदानों से अवैध कोयला खनन में शामिल हैं.