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Jamshedpur: किधर बहेगी सरयू की धार ! क्या भारी पड़ेंगे डॉ. अजय कुमार ?

 

जमशेदपुर। भारतीय राजनीति में अक्सर चाणक्य नीति की चर्चा होती रहती है. लेकिन वर्तमान में चाणक्य वही कहलाता है, जो अपनी नीतियों से विरोधियों को चुनावी रणक्षेत्र में परास्त कर सत्ता के शिखर तक पहुंचने में सफल हो जाए. वैसे तो भारतीय राजनीति में चाणक्य की उपमा से कई लोगों को सुशोभित किया जाता रहा है.

लेकिन अगर झारखंड की राजनीति की बात करें तो एक नाम प्रमुखता से लिया जाता है. जिन्हें लोग चाणक्य चचा के नाम से भी जानते है. जिनके खाते में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेल भेजने के साथ ही एक पूर्व मुख्यमंत्री को उनके अभेद गृह विधानसभा क्षेत्र में भारी अंतर से पराजित करने का रिकार्ड दर्ज है.इनके संबंध में यह भी प्रचलित है कि बड़ी सफाई से ये कलाई दबाकर मुठ्ठी खुलवाने के माहिर खिलाड़ी है. लेकिन इधर हाल के दिनों में इनके दबाव की राजनीति का दुसरों पर कुछ असर होता दिख नहीं रहा है.

जी हां, आपने सही पहचाना मैं बात कर रहा हूं जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा के वर्तमान विधायक सरयू राय की. झारखंड में विधानसभा की चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है. सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में लगे हुए हैं. बैठकों का दौर भी चल रहा है. ऐसे में जमशेदपुर के लोगों के बीच आम तौर पर यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि सरयू की धार किस ओर बहेगी यानी सरयू राय किस विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे.

इस मामले में पत्रकारों, राजनीति जानकारों औऱ विशेषज्ञों की अपनी-अपनी राय है और इसके पीछे उनका अपना तर्क भी है. कुछ विशेषज्ञों ने तो जमशेदपुर पूर्वी से सरयू राय की सीट भी फाइनल कर उनकी जीत भी सुनिश्चित कर दी. हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है. वहीं दूसरी ओर जदयू में शामिल होने के बाद सरयू राय ने अपने बयान में कहा कि पार्टी जहां से निर्णय करेगी वो वहां से चुनाव लड़ेंगे.

वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि 2024 का विधाननसभा चुनाव में सरयू राय के लिए जमशेदपुर पूर्वी का सीट जीतना आसान नहीं है. इसके पीछे एक मजबूत तर्क है की इस बार यह माना जा रहा है कि जमशेदपुर पूर्वी से कांग्रेस व इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार डॉ. अजय कुमार होंगे.

डॉ. अजय कुमार का अपना फेसवेल्यू है. लोग उन्हें पसंद करते है. डॉ. अजय कुमार का अपना वोट बैक है.

जमशेदपुर के लोग आज भी उन्हें उतना ही तरजीह देते हैं. पूर्व आईपीएस डॉ अजय जमशेदपुर केे पुलिस अधीक्षक रहें है. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि वे जमशेदपुर के पूर्व सांसद हैं. लोग उनके काम करने के तरीके से प्रभावित भी है.

वहीं दूसरी ओर सरयू राय के खिलाफ एंटी इंकबेंसी भी उनके लिए परेशानी का सबब हो सकता है. पूर्वी विधानसभा में एक बड़ा वर्ग सरयू राय से नाराज चल रहा है. जिसके कारण चुनाव में उनको परेशानी हो सकती है.

यदि एनडीए द्वारा सरयू राय को जमशेदपुर पूर्वी से टिकट मिल भी जाता है, तो रघुवर गुट इनको हराने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा, क्योंकि रघुवर गुट कभी नहीं चाहेगा की सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी से जीतें.

वहीं इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि जमशेदपुर महानगर भाजपा में अभी भी रघुवर गुट ही हावी है. ओड़िशा के राज्यपाल रघुवर दास की जमशेदपुर में सक्रियता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा पर अपना दावा छोड़ने के मुड में नहीं हैं. क्योंकि संवैधानिक पद पर रहते हुए पिछले दिनों जमशेदपुर प्रवास के दौरान जिस प्रकार उन्होंने भाजपा कार्यकर्ता एवं नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को सम्मानित किया. इससे यह तो स्पष्ट है कि वो अपने पियादे के लिए जमीन तैयार करने में लगे हुए हैं. ऐसे में पूर्वी विधानसभा से प्रत्याशी वही होगा जिसको रघुवर चाहेंगे, और यही सच भी है.

वहीं बात अगर जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा की बात करें तो राजनीति जानकारों के अनुसार इस सीट पर सरयू राय की जीत सुनिश्चित हो सकती है. पहली बात की इस सीट के लिए भाजपा के पास कोई दमदार प्रत्याशी नहीं है. जो अपने दम पर पार्टी को जीत दिला सके. जिसका अपना वोट बैंक हो. पिछली बार बीजेपी के उम्मीदवार देवेंद्र सिंह को बन्ना गुप्ता ने भारी अंतर से हराया था. जमशेदपुर पश्चिमी के वर्तमान विधायक बन्ना गुप्ता से लोग काफी नाराज चल रहे है. हिंदू के साथ मुस्लिम समुदाय भी खुश नहीं है. भ्रष्टाचार के आरोप बन्ना गुप्ता का पीछा नहीं छोड़ रहा है. वहीं एक भाजपा नेता ने हन्नी ट्रैप मामले में सार्वजनिक तौर बयान देकर बन्ना के लिए नई मुश्किलें पैदा कर दी है. पांच वर्षो में इनके द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया, जिसके आसरे इनकी जीत सुनिश्चित हो सके.

स्वास्थ्य मंत्री के गृहक्षेत्र में स्थित कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल नर्क बना हुआ है, तो पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था का आप स्वतः अंदाजा लगा सकते है. इनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की खाता बही सरयू राय संजोये रखें हुए हैं जो समय आने पर लोगों के समक्ष पेश करेंगे. जिसके लिए सरयू राय विख्यात हैं. ऐसे में सरयू राय के लिए पिच तैयार है. उन्हें बस अच्छें से बल्लेबाजी करनी है तो निश्चित रुप से जीत उनके खाते में जा सकती है.

अंत में फिर वही की राजनीति संभावनाओं का खेल है. पार्टी का निर्णय क्या होगा ? जदयू भाजपा पर कितना दबाव बना पाती है ? सीट शेयरिगं में जदयू को कौन सा सीट मिलता है ? उसी पर सबकुछ निर्भर करेगा.

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