Jamshedpur. बर्मामाइंस लाल बाबा फाउंड्री में लोगों के भारी हुजूम के सामने पुलिस प्रशासन को अतिक्रमण हटाने का अभियान शुक्रवार को टालना पड़ा. बर्मामाइंस थाना को कोर्ट से अतिक्रमण हटाने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती करने का आदेश दिया गया था.
करीब 70 डिसिमल से अधिक जमीन से अतिक्रमण हटा टाटा स्टील को कब्जा दिलाना था. यह कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को पूर्व निर्धारित थी. इसके चलते कैलाशनगर व्यापारी संघ समिति के समर्थन में भाजपा, कांग्रेस, भारतीय जनतंत्र मोर्चा, सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स सहित कई सामाजिक, धार्मिक और स्थानीय लोग सुबह से जुटे हुए थे.
दरअसल, टाटा स्टील और लाल बाबा फाउंड्री के बीच वर्ष 2006 से केस में चल रहा था. कुछ दिन पहले टाटा स्टील के पक्ष में कोर्ट से फैसला आया था. शुक्रवार को बर्मामाइंस लाल बाबा फाउंड्री स्थित 100 से अधिक गोदाम तोड़े जाने थे.
अतिक्रमण हटाने वाली टीम को रोकने के लिए ट्यूब कंपनी गोलचक्कर के समीप ही लोगों ने टायर जलाकर मार्ग अवरूद्ध कर दिया था. लाल बाबा फाउंड्री से लेकर ट्यूब डिवीजन कंपनी गोल चक्कर तक हजारों की भीड़ जमा थी.
दोपहर दो बजे प्रशासन की ओर से कार्यपालक दंडाधिकारी सुमित प्रकाश और कोर्ट के नाजिर धीरज पुलिसकर्मियों का नेतृत्व करते हुए बर्मामाइंस थाना से ट्यूब कंपनी गोलचक्कर के पास पहुंचे. यहां पहले से जमा स्थानीय लोगों और व्यवसायियों ने वज्र वाहन, मजिस्ट्रेट और पुलिस कर्मियों को ट्यूब कंपनी गोलचक्कर के समीप ही रोक दिया. वे मांग कर रहे थे कि उन्हें कोर्ट में अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया है. हाइकोर्ट जाने और वहां से राहत पाने के लिए मौका दिया जाये. भारी विरोध के बाद प्रशासनिक टीम ने वापस लौटने का निर्णय लिया.
अतिक्रमण हटाओ अभियान रोकने कोर्ट पहुंचे लोग, 30 को होगी सुनवाई
बर्मामाइंस लाल बाबा फाउंड्री के कब्जा वाली जमीन खाली कराने व अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई रोकने की अपील पर सिविल जज जूनियर डिवीजन जितेंद्र राम की अदालत में शुक्रवार को सुनवाई हुई. प्रभावित परिवारों और कैलाशनगर व्यवसायी समिति की ओर से अधिवक्ता संजीव रंजन बरियार, डीएन प्रसाद, अंशुमान लाल्टू आदि अधिवक्ताओं ने कोर्ट में पक्ष रखा.
कोर्ट में टाटा स्टील की ओर से अधिवक्ता विशाल शर्मा ने पक्ष रखने के लिए समय मांगा. कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई 30 सितंबर को करेगा.
टाटा स्टील प्रबंधन उपरोक्त स्थल से हर हाल में अतिक्रमण हटाने को प्रयासरत है, ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के पूर्व लगने वाले आचार संहिता के दौरान एक बार पुनः उपरोक्त स्थल से अतिक्रमण हटाने का प्रयास हो सकता है, हालांकि मामला न्यायालय में होने के कारण इसकी संभावना कम है.