कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को राज्यसभा में डॉ. भीमराव अंबेडकर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान की कड़ी आलोचना की. उन्होंने इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की “जातिवादी और दलित विरोधी मानसिकता” का प्रतीक बताया.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने इस बयान को अपमानजनक करार देते हुए कहा कि यह उन करोड़ों लोगों का अपमान है जो डॉ. अंबेडकर को प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत मानते हैं. उन्होंने कहा कि नकाब हट चुका है! जब संसद भारत के संविधान के 75 गौरवशाली वर्षों पर चर्चा कर रही है, तब गृह मंत्री अमित शाह ने लोकतंत्र के इस मंदिर में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक बयान देकर इस अवसर को धूमिल कर दिया.
ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा की “जातिवादी और दलित विरोधी मानसिकता” ने एक बार फिर से अपना चेहरा दिखा दिया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर वे 400 सीटों का सपना पूरा कर लेते, तो इतिहास को फिर से लिखकर अंबेडकर के योगदान को पूरी तरह मिटा देते.
उन्होंने आगे कहा कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर संविधान के पिता हैं. यह बयान न केवल उनके खिलाफ है, बल्कि संविधान मसौदा समिति के सभी सदस्यों के खिलाफ है, जो भारत की विविधता में एकता का प्रतीक हैं.
तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी के बयान को साझा करते हुए अमित शाह के बयान को जानबूझकर दिया गया “विकृत और दुर्भावनापूर्ण हमला” बताया. पार्टी ने कहा कि यह कोई जुबान फिसलने का मामला नहीं था. यह भाजपा की गहरी जातीय और दलित विरोधी मानसिकता का उदाहरण है.
वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अमित शाह के बयान का एक वीडियो साझा करते हुए उनकी टिप्पणी की आलोचना की. शाह ने राज्यसभा में कहा था कि अभी एक फैशन हो गया है – अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.