

Ranchi : राजधानी रांची में मुहर्रम के मौके पर ऐतिहासिक मातमी जुलूस निकाला गया. दोपहर में जब मेन रोड से जुलूस गुजर रहा था, तभी झमाझम बारिश शुरू हो गई, लेकिन बारिश ने ना तो श्रद्धालुओं की आस्था को रोका और ना ही मातम की परंपरा को थाम सकी. लोग भीगते हुए इमाम हुसैन की शहादत को याद करते रहे. जगह-जगह से पहुंचे ताजिए, निशान और अखाड़ों का स्थानीय लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया.

पूरे रास्ते में ‘या हुसैन’ की सदाएं गूंजती रहीं. शहर के कई हिस्सों में मुस्लिम समाज के लोग बाजे-गाजे के साथ सीनाजनी और जंजीरी मातम करते नजर आए. मुहर्रम मुस्लिम समुदाय के लिए ग़म और सब्र का महीना माना जाता है. इस्लामी मान्यता के अनुसार, दस मुहर्रम को कर्बला की धरती पर पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन ने यज़ीद की फौज से लड़ते हुए शहादत दी थी. इस दिन को शहादत के दिन के रूप में याद किया जाता है.
जुलूस को लेकर प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी. मेन रोड और अन्य संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक की दिशा बदली गई थी और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. DIG सह रांची पुलिस कप्तान के निर्देश पर सिटी एसपी अजीत कुमार, कोतवाली डीएसपी प्रकाश सोय सहित कई अधिकारी खुद कमान संभाले रहे. कई आखाराधारियों ने रांची पुलिस कप्तान चंदन कुमार सिन्हा को सम्मानित भी किया.
