कोलकाता. ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित डॉ. भारती कश्यप ने कोलकाता एयरपोर्ट पर एक एयरलाइन के कर्मचारियों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है. डॉ. कश्यप के अनुसार, खराब मौसम के कारण उनकी बागडोगरा जाने वाली फ्लाइट रद्द हो गई थी, जिसके बाद एयरलाइन कर्मचारियों ने उन्हें और अन्य यात्रियों को घंटों इंतजार कराया.
डॉ. कश्यप, जो रांची की एक नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं, झारखंड की राजधानी रांची से कोलकाता होते हुए बागडोगरा की यात्रा कर रही थीं. उन्होंने बताया कि कोलकाता एयरपोर्ट पर सुबह 10:45 बजे पहुंचे, जहां हमारी फ्लाइट एक घंटे की देरी से आई. इसके बाद पता चला कि बागडोगरा की फ्लाइट रद्द कर दी गई है.
डॉ. कश्यप ने आरोप लगाया कि एयरलाइन ने उन्हें शाम की फ्लाइट में भी जगह नहीं दी और यात्रियों को कई घंटों तक बिना किसी सुविधा के इंतजार कराया. उन्होंने कहा कि हमें दोपहर 12:45 बजे की फ्लाइट से बागडोगरा जाना था, जिसे रद्द कर दिया गया. लंबे इंतजार के बाद करीब चार बजे जाकर खाना दिया गया.
57 वर्षीय डॉक्टर ने बताया कि एयरलाइन ने उन्हें डॉरमेट्री में रुकने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं अकेले यात्रा कर रही हूं, ऐसे में दूसरों के साथ डॉरमेट्री में कैसे रुक सकती हूं ?
डॉ. कश्यप ने यह भी बताया कि उनके भाई, जो मुंबई से उसी एयरलाइन की फ्लाइट से बागडोगरा जा रहे थे, वहां आसानी से पहुंच गए. उन्होंने कहा कि हमें खराब मौसम के कारण फ्लाइट रद्द होने की जानकारी दी गई, लेकिन मेरे भाई की फ्लाइट बागडोगरा में उतर गई.
एयरलाइन का जवाबएयरलाइन के कर्मचारियों ने बताया कि सुबह 7:40 बजे कोलकाता से बागडोगरा के लिए रवाना हुई फ्लाइट को खराब मौसम के कारण डायवर्ट करना पड़ा. वहीं, दोपहर 12:45 बजे की फ्लाइट रद्द कर दी गई.
एक कर्मचारी ने कहा कि हम फंसे हुए यात्रियों की हर संभव मदद कर रहे हैं. हालांकि, त्योहारी सीजन के कारण होटल के सभी कमरे पहले से बुक हैं, इसलिए हम रात के लिए तुरंत व्यवस्था नहीं कर सके.
बाद में डॉक्टर को एक होटल में कमरा दिया गया, जबकि अन्य यात्रियों को एयरपोर्ट डॉरमेट्री में ठहराया गया. डॉ. कश्यप ने कहा कि मैं एयरपोर्ट पर छह घंटे तक फंसी रही. होटल में चाय और रात का खाना देने से भी इनकार कर दिया गया, जब तक एयरलाइन से आदेश नहीं मिलता.
डॉ. भारती कश्यप का योगदानडॉ. कश्यप ने झारखंड के ग्रामीण इलाकों में ‘आंखों के दान जागरूकता अभियान’ और ‘युवा ग्रामीण झारखंड के लिए दृष्टि अभियान’ के जरिए हजारों लोगों की जिंदगी बदली है. वह नक्सल प्रभावित इलाकों में नेत्र जांच शिविर आयोजित करके वंचित बच्चों और युवाओं की मदद कर रही हैं.