New Delhi. केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए हाल ही में घोषित यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) केवल उन लोगों के लिए ही उपलब्ध होगी, जो फिलहाल नयी पेंशन योजना (एनपीएस) के ग्राहक हैं. इनमें सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल हैं. यूपीएस योजना के तहत कर्मचारियों को 25 साल की न्यूनतम योग्यता सेवा होने पर सेवानिवृत्ति से पहले के आखिरी 12 महीनों में उनके औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में गारंटी दी गयी है. वहीं एनपीएस में मिलने वाली राशि बाजार से मिलने वाले रिटर्न पर निर्भर करती है. यह योजना सरकारी कर्मचारियों की एनपीएस से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए लायी गयी है.
एनपीएस को एक जनवरी, 2004 से लागू किया गया था. इसके पहले पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के तहत कर्मचारियों को उनके अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था. हालांकि, पुरानी पेंशन योजना के उलट यूपीएस अंशदायी प्रकृति की योजना है जिसमें कर्मचारियों को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान करना होगा.
वहीं नियोक्ता (केंद्र सरकार) का योगदान 18.5 प्रतिशत होगा. एनपीएस के तहत नियोक्ता का योगदान 14 प्रतिशत रखा गया है, जबकि कर्मचारी का योगदान 10 प्रतिशत तय है. इसके बावजूद एनपीएस के तहत कर्मचारी को अंतिम भुगतान उस कोष को मिलने वाले बाजार रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर सरकारी ऋणों में निवेश किया जाता है.