New Delhi. दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा जिसमें गृह मंत्रालय को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता पर निर्णय लेने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने मौखिक रूप से केंद्र सरकार की ओर से पेश ‘प्रॉक्सी’ वकील से मामले में निर्देश प्राप्त करने को कहा. पीठ ने कहा, ‘‘हम कोई भी आदेश पारित करने से पहले सरकार के वकील की सहायता लेना चाहते हैं.’’
अदालत शुरू में याचिका पर नोटिस जारी करने की इच्छुक थी. अदालत को केंद्र के ‘प्रॉक्सी’ वकील ने बताया कि मामले में पूर्व में सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया है, इसलिए उन्होंने मामले में नए वकील को नियुक्त करने के लिए कुछ समय मांगा है.
स्वामी ने जब अदालत से उनकी याचिका पर नोटिस जारी करने का आग्रह किया तो पीठ ने कहा, ‘‘हम देखेंगे कि उनका (केंद्र का) रुख क्या है और फिर जरूरी होने पर उनका जवाब मांगेंगे.’ इसके बाद पीठ ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 13 जनवरी, 2025 की तारीख तय की. अधिवक्ता सत्य सभरवाल के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि छह अगस्त, 2019 को स्वामी ने मंत्रालय को एक पत्र लिखा था और ब्रिटेन सरकार के सामने गांधी के उस ‘‘स्वैच्छिक खुलासे’’ का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया था कि वह (गांधी) ब्रिटिश नागरिक हैं और वहां का पासपोर्ट रखने के हकदार हैं.
स्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि कांग्रेस नेता ने भारतीय नागरिक होते हुए भी संविधान के अनुच्छेद नौ और भारतीय नागरिकता अधिनियम का उल्लंघन किया है और इस प्रकार वे भारतीय नागरिक नहीं रह जाएंगे. स्वामी ने कहा है कि उन्होंने अपनी शिकायत की स्थिति के बारे में पूछताछ के लिए मंत्रालय को कई अभ्यावेदन भेजे हैं, लेकिन न तो कोई कार्रवाई की गई है और न ही उन्हें इसके बारे में सूचित किया गया. गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने शुक्रवार की सुनवाई के दौरान अदालत को घटनाक्रम से अवगत कराया. इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिशिर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उनके द्वारा दायर जनहित याचिका के मद्देनजर घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए एक अभियोग आवेदन और हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी थी.
स्वामी ने कहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित मामले का उनके मामले से कोई लेना-देना नहीं है, और प्रार्थनाएं पूरी तरह से अलग हैं, शिशिर ने दावा किया कि स्वामी की याचिका बहुलता और समानांतर कार्यवाही की ओर ले जा रही है.