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Rajyasabha: उपराष्ट्रपति धनखड़ को पद से हटाने के लिए विपक्ष ने दिया अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस, कांग्रेस बोली- यहां अंपायर’ ही निष्पक्ष नहीं है

New Delhi.‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों ने राज्यसभा में आसन और विपक्ष के तल्ख रिश्तों के बीच सभापति जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का नोटिस मंगलवार को राज्यसभा के महासचिव को सौंपा. विपक्ष ने कहा कि धनखड़ द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से राज्यसभा की कार्रवाई संचालित करने के कारण यह कदम उठाना पड़ा है. नोटिस पर कांग्रेस, टीएमसी, ‘आप’, द्रमुक, सपा और कई अन्य विपक्षी दलों के 60 सदस्यों ने हस्ताक्षर किये हैं.

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, द्रमुक नेता तिरुची शिवा और टीएमसी के डेरेक ओब्रायन के हस्ताक्षर इस नोटिस पर नहीं हैं. सपा के रामगोपाल यादव, ‘आप’के संजय सिंह, टीएमसी के सुखेंदु शेखर रॉय, राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी, मुख्य सचेतक जयराम रमेश, वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला तथा कई अन्य वरिष्ठ सदस्यों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किये हैं.

विपक्षी दलों द्वारा सभापति धनखड़ के विरुद्ध यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है, जब लोकसभा एवं राज्यसभा, दोनों सदनों में सत्ता पक्ष ने अमेरिकी उद्योगपति जार्ज सोरोस के मुद्दे पर कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व पर हमला तेज किया है.

रीजीजू बोले- विपक्ष का यह कदम बेहद अफसोसनाक

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि विपक्ष का यह कदम बेहद अफसोसनाक है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के पदेन सभापति बहुत पेशेवर और निष्पक्ष हैं.

‘ इंडिया’ गठबंधन के सभी दल ने किया समर्थन

कांग्रेस महासचिव रमेश ने बताया कि ‘इंडिया’ गठबंधन के सभी घटक दलों ने एकजुट होकर सर्वसम्मति से राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है. सभापति, बहुत विद्वान हैं, जाने-माने संवैधानिक वकील हैं, राज्यपाल रहे हैं, बहुत वरिष्ठ व्यक्ति हैं, जिनका हम सम्मान करते हैं, पर हमें यह करने के लिए विवश होना पड़ा है. हमें बहुत दुख के साथ और भारी मन से यह कदम उठाना पड़ा है.

यह राज्यसभा के 72 साल के इतिहास में पहली बार है कि किसी सभापति के खिलाफ प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया गया है. धनखड़ जिस तरह से सदन का संचालन करते हैं, उससे स्पष्ट दिखता है कि उनका रवैया पक्षपातपूर्ण है. वह एक अंपायर की भूमिका में हैं. यहां अंपायर ही पक्षपात ही कर रहा है. वह नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की बात नहीं सुन रहे, सत्तापक्ष के सांसदों को विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक भाषा में आरोप लगाने की इजाजत दे रहे हैं और ऐसा करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी कर रहे है.

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