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विकास के लिए तरस रहा सरायकेला-खरसावां जिले का जगन्नाथपुर, गांव के तीनों दिशा में सड़क नहीं, मुख्य सड़क को जोड़ने वाली एकमात्र कच्ची सड़क जर्जर l

विकास के लिए तरस रहा सरायकेला-खरसावां जिले का जगन्नाथपुर, गांव के तीनों दिशा में सड़क नहीं, मुख्य सड़क को जोड़ने वाली एकमात्र कच्ची सड़क जर्जर l

*रोजगार वृद्धा पेंशन सहित कई समस्या से जूझ रहे आदिवासी*

: झारखंड राज्य बने 20 साल बाद भी सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत सरायकेला अंचल क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति बहुल राजस्व गांव जगन्नाथपुर विकास के लिए तरस रहा है।
जगन्नाथपुर गांव का किस्मत है कि यह गम्हरिया प्रखंड में है। बड़ा काकड़ा पंचायत क्षेत्र में शामिल इस गांव का एकमात्र स्कूल भी दूसरे गांव में स्थानांतरित हो चुका है।
गांव के पूर्व में माठाडीह, उत्तर में छोटाकाकड़ा, दक्षिण में ब्रह्माटांड जाने के लिए रास्ता नहीं है। गांव एक टापू की तरह है। बच्चे खेत पार कर करीब एक किलोमीटर दूर छोटा काकड़ा स्कूल जाते हैं। गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली करीब आठ सौ मीटर कच्ची सड़क है। यह ग्रामीणों की मुख्य रास्ता है। कच्ची सड़क के कारण ग्रामीण यतायात की समस्या से परेशान रहते हैं। ग्रामीण वर्षो से इसी कच्ची सड़क में यतायात कर रहे हैं। गांव के नाया (पुजारी) ज्योति उरांव ने बताया कि जगन्नाथपुर प्रभु जगन्नाथ की तरह विकलांग है। गांव में करीब चालीस अनुसूचित जनजाति परिवार है। खेती-बाड़ी मजदूरी मुख्य पेशा है। प्रखंड दूर है। इसीलिए सरकारी लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाता है। वह वृद्धा पेंशन नहीं मिलने का रोना रोते हैं।
इसके अलावे लखन उरांव, दुखीराम उरांव, साधु उरांव, सोमरा उरांव ने भी अपना दुखड़ा सुनाई। ये सभी वृद्धा पेंशन से वंचित हैं। गीता कुजूर सहित कई विधवा पेंशन से वंचित हैं । पानी, बिजली, शौचालय ,स्वास्थ्य की समस्या ग्रामीणों के नजर में नहीं था। मुख्य समस्या कच्ची सड़क थी। चुनाव के समय ग्रामीण ट्यूनिया गांव के बूथ में मतदान करते हैं। ट्यूनिया तक रास्ता नहीं रहने के कारण ग्रामीण खेत खलियान के होते हुए बूथ तक पहुंचते हैं।
गांव में महिला समितियां भी है। जबकि सरकारी सुविधा से वंचित है। कमल आजीविका सखी मंडल के कोषाध्यक्ष सरिता खलको ने बताया कि करीब दो साल से सखी मंडल चल रहा। करीब 15 सदस्य है। अभी तक सरकार से कोई लाभ नहीं मिला है। चांदनी उरांव ने बताया कि वह 2 साल से कमल आजीविका सखी मंडल से जुड़ी है। कोई लाभ नहीं मिला है। परिवार में दो बच्चा है। पति मजदूरी करते हैं। गरीबी में जिंदगी कट रही है। चंद्रपुर गांव से जन वितरण का अनाज मिलता है।
बुधराम कुजूर ने बताया कि गांव में श्मशान सेड तक की व्यवस्था नहीं है। गांव के सुरेश कुजूर ने स्पष्ट किया कि थाना नंबर 287 में जगन्नाथपुर मौजा है। जिला नियोजनालय, जिला उद्योग,जिला नियंत्रण कक्ष, जिला गव्य विकास, जिला मत्स्य, जिला कृषि के अलावा सरायकेला प्रखंड एवं अंचल कार्यालय इसी मौजा में है। इसके बावजूद इसी मौजा के गांव समस्या से जूझ रहे हैं। विकास को तरस रहे हैं।
ए के मिश्रा

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