सर्वेक्षण. आरएंडडी के साथ-साथ एफडीआइ सुव्यवस्थित करना जरूरी
नयी दिल्ली. रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को सुव्यवस्थित करने के साथ शोध एवं विकास (आरएंडडी) और मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ा कर देश चालू वित्त वर्ष के अंत तक पांच अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल कर सकता है. एशिया की प्रमुख आंतरिक सुरक्षा एवं रक्षा प्रदर्शनी ”अंतरराष्ट्रीय पुलिस एक्सपो” के आयोजक ‘नेक्सजेन एक्जीबिशन’ ने एक व्यापक सर्वेक्षण के ये निष्कर्ष जारी किये हैं. इसका मकसद रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ से जुड़ी बाधाओं को दूर करना और रक्षा शोध एवं विकास (आरएंडडी) और विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करना है. एक बयान के मुताबिक, इस पहल का उद्देश्य भारत को वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच अरब डॉलर रक्षा निर्यात के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की तरफ प्रेरित करना है. देश के 15 शहरों में किये गये इस सर्वेक्षण में 130 से अधिक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय हथियार, गोला-बारूद व सुरक्षा उपकरण निर्माताओं, निर्यातकों और स्टार्टअप कंपनियों ने हिस्सा लिया.
वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में उभरेगा भारत
सर्वेक्षण में सुव्यवस्थित एफडीआइ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) और भविष्य को लेकर अन्य प्रौद्योगिकियों के साथ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के एकीकरण और उद्योग के लिए पेशेवरों का एक बड़ा समूह खड़ा करने के लिए एक मजबूत कौशल विकास परिवेश पर जोर दिया गया है. भारत का आंतरिक सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र शोध एवं विकास तथा मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ा कर वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में उभरने के लिए तैयार है.
75 से अधिक देशों को होता है रक्षा उपकरण निर्यात
इस सर्वेक्षण में रक्षा खरीद श्रेणियों में वृद्धि घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया है. फिलहाल भारत 75 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जो वैश्विक रक्षा बाजार में इसकी बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है. ‘नेक्सजेन एक्जीबिशन’ के निदेशक आधार बंसल ने कहा, खरीद श्रेणियों में वृद्धि और गुणवत्ता एवं इनोवेशन पर बल ने भारत को वैश्विक मंच पर एक विश्वसनीय रक्षा उपकरण आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित किया है. सरकार की मददगार नीतियों, रणनीतिक साझेदारी और सहयोग से भारत 2024-25 तक अपने पांच अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य के करीब पहुंच रहा है.