New Delhi. विपक्षी सदस्यों ने हाल के दिनों में रेल दुर्घटनाओं के बेहताशा बढ़ोतरी का मुद्दा बुधवार को लोकसभा में उठाया और हादसों को रोकने के लिए पटरियों की मरम्मत समेत सभी जरूरी कदम उठाने की मांग की, जबकि सत्तापक्ष के सदस्यों ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में रेलवे का व्यापक विकास और आमूलचूल परिवर्तन हुआ है.
रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर मंगलवार को अधूरी रही चर्चा को बुधवार को आगे बढ़ाते हुए द्रमुक सांसद टीएम सेल्वागणपति ने आरोप लगाया कि इस बजट में तमिलनाडु के साथ भेदभाव किया गया है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय तमिलनाडु में कई रेल परियोजनाओ को मंजूरी मिली थी, लेकिन ये परियोजनाएं 15 साल से धन आवंटन का इंतजार कर रही हैं.
उन्होंने दावा किया कि भाजपा के लोग हिंदुत्व की बात करते हैं, लेकिन उनकी सरकार में ही तमिलनाडु के कई धार्मिक स्थलों की रेल संपर्क के संदर्भ में अनदेखी की गई है.
तृणमूल कांग्रेस के बापी हलदर ने हाल की रेल दुर्घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया तो उन्हीं की पार्टी की बाग मिताली ने कहा कि जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं तो भारतीय रेलवे में बहुत अधिक विकास कार्य हुआ था.
कांग्रेस सांसद हरीश चंद्र मीना ने भी रेल बजट को निराशाजनक करार देते हुए रेल दुर्घटनाओं का जिक्र किया.
उन्होंने तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री का उल्लेख करते हुए कहा कि जब एक दुर्घटना हुई थी तो उन्होंने (शास्त्री ने) नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था, लेकिन मौजूदा सरकार में इतनी घटनाएं हुई हैं, फिर भी मंत्री अपने पद पर कायम हैं.
कांग्रेस के ही कैप्टन विरियातो फर्नांडीस ने भी कहा कि रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन रही है, लेकिन हाल के दिनों में बढ़ती रेल दुर्घटनाएं चिंतनीय हैं।
उत्तर प्रदेश के बलिया से समाजवादी पार्टी के सांसद सनातन पांडेय ने कहा कि बलिया ने देश को प्रधानमंत्री दिया, जय प्रकाश नारायण जैसा नेता दिया और मंगल पांडेय के रूप में आजादी की लड़ाई का बड़ा नायक दिया है, इसके बावजूद रेलगाड़ियों के मामले में इस क्षेत्र की उपेक्षा की गयी है.
उन्होंने पश्चिम बंगाल के सियालदह, बिहार के पटना और उत्तराखंड के हरिद्वार तथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए सीधी ट्रेन की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि देश में जिस अनुपात में रेल बजट का आकार बढ़ रहा है, उसी अनुपात में दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं.
समाजवादी पार्टी के ही देवेंद्र शाक्य ने सरकार से आग्रह किया कि एटा को रेलवे लाइन से जोड़ा जाना चाहिए तथा कासगंज से हरिद्वार के बीच एक ट्रेन चलाई जाए।
राकांपा (शरदचंद्र पवार) मोहिते पाटिल धैर्यशील राजसिंह ने भी चर्चा में हिस्सा लिया और रेल परिवहन से संबंधित अपने क्षेत्र की जरूरतों का उल्लेख करते हुए सरकार से इसे पूरा करने की मांग की.
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद अभय कुमार सिन्हा ने कहा कि रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पटरियों की मरम्मत का काम तेजी से किया जाना चाहिए.
सत्ता पक्ष ने विकास का उल्लेख किया
भारतीय जनता पार्टी के सांसद दिलीप सैकिया ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में पूरा पूर्वोत्तर रेल संपर्क से जुड़ गया है. उन्होंने कहा, ‘‘यह मोदी जी की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के कारण संभव हुआ है.
भाजपा सांसद भोला सिंह ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में रेलवे को जो विकास हुआ है, उसका अंदाजा स्टेशनों को देखकर लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘पहले के स्टेशन अस्वच्छ होते थे, लेकिन अब स्टेशन पूरी तरह से स्वच्छ हो गए हैं.
भाजपा के अनिल बलूनी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के पिछले 10 साल के कार्यकाल में भारतीय रेलवे ने विकास के नये आयाम गढ़े हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश के कोने-कोने में रेल पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस साल का बजट इस बात का पुख्ता उदाहरण है, जो 2013-14 के बजट में रेलवे के लिए किये गये प्रावधान की तुलना में आठ गुना अधिक है.
शिवसेना सांसद रवींद वाईकर ने कहा कि मुंबई की लोकल ट्रेन से जुड़े हादसों को रोकने के लिए उचित कदम उठाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुंबई में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार करने की जरूरत है.
जद (यू) के रामप्रीत मंडल ने भी अपने क्षेत्र को लेकर कुछ मांगें कीं.
लोजपा (रामविलास) के राजेश वर्मा ने मोदी के कार्यकाल में रेलवे में हुए विकास की सराहना की. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र खगड़िया के निकट एक स्टेशन पर वैशाली ट्रेन के ठहराव की मांग की.
भाजपा के तापिर गाव और तेदेपा के कृष्ण प्रसाद टेन्नेटी तथा द्रमुक के मुरासोली एस ने भी अपने-अपने क्षेत्र के लिए विभिन्न मांगें कीं.