Pryagraj. ‘घर घर गारंटी योजना’ के तहत वोट के बदले विभिन्न वित्तीय और अन्य लाभ की गारंटी वाले कार्ड बांटने वाले कांग्रेस के 99 सांसदों को अयोग्य करार देने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई है. याचिका के मुताबिक, ये वादे जनप्रतिनिधि कानून के तहत रिश्वत के समान हैं, इसलिए कांग्रेस के 99 सांसदों को मौजूदा कानून के तहत अयोग्य करार दिया जाना आवश्यक है.
याचिका में भारतीय निर्वाचन आयोग पर कांग्रेस की विवादित घर-घर गारंटी योजना को लेकर पार्टी के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया है. फतेहपुर जिले की भारती देवी द्वारा दायर इस जनहित याचिका में चुनाव की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है. इस याचिका पर जल्द सुनवाई किए जाने की संभावना है.
याचिका में तर्क दिया गया है कि घर-घर गारंटी योजना जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 123(1) (ए) के तहत रिश्वत के समान है और यह भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 171बी और 171ई के तहत दंडनीय है. इसमें आरोप लगाया गया है, “निर्वाचन आयोग की ओर से दो मई, 2024 को जारी परामर्श में राजनीतिक दलों को इस तरह की व्यवस्था के खिलाफ चेतावनी दिए जाने के बावजूद कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता के साथ समझौता करते हुए इन कार्ड का वितरण जारी रखा.
याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग पर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के उसके दायित्व को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. याचिका में अदालत से निर्वाचन आयोग को निर्देश जारी कर चुनाव प्रतीक (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 की धारा 16ए के तहत कांग्रेस की राजनीतिक पार्टी के तौर पर मान्यता निलंबित करने की भी मांग की गई है.
इसके अलावा, याचिका में घर-घर गारंटी योजना से लाभ उठाने वाले 99 कांग्रेस सांसदों को अयोग्य करार दिए जाने के साथ ही इस योजना को लाने के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का अनुरोध किया गया है. याचिका में भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा के लिए अदालत से निर्णायक कदम उठाने का भी अनुरोध किया गया है.