- जमीन सर्वे की प्रक्रिया पूरी करने में लोगों के पसीने छूटने लगे हैं, कागजात दुरुस्त करने की बढ़ी है बेचैनी
- सरकार ने किया स्पष्ट, पंचायतों में सरपंच ही जारी करेंगे वंशावली का प्रमाणपत्र, लोगों से परेशान नहीं होने की अपील
पटना. बिहार में चल रहे जमीन सर्वेक्षण के बीच कागजात दुरुस्त करने का काम भी तेज हो गया है. जमीन के मालिकों को पीढ़ी दर पीढ़ी मालिकाना साबित करने और खाता में नाम दर्ज कराने के लिए अहम दस्तावेजों में एक वंशावली भी है. सर्वेक्षण के दौरान सर्वेक्षणकर्मी जमीन के असली मालिक से कागजात लेकर सत्यापन करेंगे और इसके बाद जानकारी को अपडेट किया जाएगा. इसमें बड़ी आवश्यकता वंशावली की पड़ रही है ताकि लोग वर्षों से लंबित दस्तावेज को वर्तमान में अद्यतन करा सकें. इस बीच सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पंचायतों में वंशावली प्रमाणपत्र सरपंच ही जारी करेंगे.
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वंशावली का मतलब किसी व्यक्ति, परिवार या उसके समूह के पूर्वजों के वंश का लेखा-जोखा होता है. वंशावली परिवार के पूर्वजों के विवरण के साथ आवेदक को परिवार के वर्तमान सदस्यों का नाम होता है. इसे बनाने के लिए शपथ पत्र बनवाकर ग्राम पंचायत सचिव को देना होता है जिस पर पंचायत सचिव सात दिनों में जांच कर वंशावली का प्रतिवेदन ग्राम कचहरी सचिव को देते हैं. ग्राम कचहरी के सचिव कार्यालय अभिलेख में वंशावली के कागजात का विवरण दर्ज करते हुए सरपंच को देते हैं जो उसे अभिप्रमाणित करते हैं.
कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं लोग
भूमि विवाद का मामला सुलझाने के लिए बिहार सरकार ने जमीन सर्वे तो शुरू किया लेकिन अब इसकी प्रक्रिया को पूरी करने में लोगों के पसीने छूटने लगे हैं. सर्वे में कागजात दुरुस्त करने को लेकर लोगों की बेचैनी है. दखल कब्जे में उनके हक की जमीन तो है पर उनके पास पुस्तैनी जमीन से जुड़े कोई कागजात नहीं है. अब लोग जमीन की दास्तावेज जुटाने के लिए अंचल व जिला कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं. जिला रिकॉर्ड रूम
( अभिलेखागार) में रखे गये अपने पुरखों के कागजात के साथ ही खतियानी जमीन के रजिस्टर्ड दस्तावेज लोग खोज रहे. खतियान निकालवाने के लिए कार्यालयों में भी दौड़ रहे हैं.
मजे की बात यह कि वंशावली निर्गत करने के लिए अभिलेख को जुटाया जा रहा. सरपंच वंशावली प्रमाणपत्र पर अपना हस्ताक्षर व मोहर लगायेंगे. आवेदकों को ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया की सुविधा दी जा रही है. हालांकि वंशावली बनवाने में शपथ पत्र को लेकर लोग परेशान है. लोगों से कहीं एसडीओ कोर्ट तो कहीं कार्यपालक दंडाधिकारी का शपथ पत्र मांगा जा रहा. इसे लेकर कई जगह लोग परेशान है. ऐसे में दलालाें की सक्रियता बढ़ गयी है. 500 से 700 रुपये तक लेकर शपथपत्र बनवाया जा रहा. लिखा हुआ. परेशान लोग इसे सरल करने की मांग प्रशासन व सरकार से कर रहे हैं.