रांची. नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने उत्पाद सिपाही बहाली की प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया है कि जिन अभ्यर्थियों की मृत्यु हुई है, उनका पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया? नवंबर से फरवरी के बीच के उपयुक्त मौसम को नजर अंदाज करते हुए चुनाव के कुछ दिन पूर्व भादो की प्रचंड गर्मी में यह दौड़ करना क्या सिर्फ सरकार की जिद व नाकामी नहीं है? क्या अभी तक राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजा और सरकारी नौकरी की घोषणा की है?
बाउरी ने कहा कि युवाओं की मौत की वजह बताते हुए युवाओं व स्थानीय लोगों का कहना है कि जिन सेंटरों में शारीरिक दक्षता परीक्षा ली जा रही है, वहां चिकित्सा सुविधा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं. क्या सरकार इस पर अपना स्पष्टीकरण देगी कि आखिर युवाओं की जिंदगी से क्यों खेला जा रहा है? पांच साल के कार्यकाल में अब तक एक बार भी यह नियुक्ति प्रक्रिया नहीं की गई. क्या सरकार की मंशा सिर्फ आखिरी कुछ दिनों में अव्यवस्था व अनियमितताओं के बीच यह मौत की दौड़ करा कर युवाओं के भविष्य से खेलना ही है यानी यदि युवा “मुर्गी पालन” के बजाय नौकरियों के लिए आवेदन दें तो झारखंड में उन्हें अपनी जान की बाजी लगानी होगी! उत्पाद सिपाही नियुक्ति प्रक्रिया में अब तक 11 मौतें हो चुकी हैं.