New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ‘कमल’ का इस्तेमाल पार्टी चिह्न के रूप में करने से रोकने के अनुरोध संबंधी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. इस बात पर गौर करते हुए कि याचिका प्रचार के लिए दायर की गई है, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें मुकदमा खारिज कर दिया गया था.
पीठ ने कहा, ‘आप अपने लिए प्रसिद्धि चाहते हैं। याचिका देखिए, आपने किस तरह की राहत का दावा किया है? याचिका खारिज की जाती है. सुप्रीम कोर्ट जयंत विपत नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उनकी अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि इसमें कोई दम नहीं है.
शुरुआत में, देवास के जिला न्यायाधीश ने मुकदमा खारिज कर दिया था और आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. विपत ने दलील दी कि एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के अनुसार पंजीकृत राजनीतिक दल को मिलने वाले लाभ प्राप्त करने का अधिकार नहीं है.