रांची. झारखंड हाई कोर्ट ने एकीकृत बिहार में वर्ष 1980 के आसपास झारखंड के विभिन्न जिलों में हाई स्कूल में शिक्षक पद पर नियुक्त कर्मियों की सेवा समाप्त करने एवं सेवा निवृत कर्मियों के पेंशन रोकने से संबंधित करीब 20 याचिकाओं की सुनवाई बुधवार काे हुई. मामले में हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.
याचिकाकर्ता का कहना था उनकी नियुक्ति वर्ष 1980, 1982 के आसपास एकीकृत बिहार में हुई थी. उन्हें झारखंड के गुमला, हजारीबाग आदि जिलों में पदस्थापित किया गया था. याचिकाकर्यकर्ताओंं का कहना था कि 35 साल से अधिक की हाई स्कूल शिक्षक के रूप में सेवा के बाद उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया और जो हाईस्कूल शिक्षक सेवानिवृत हो गए, उनकी वर्ष 2018 के आसपास से पेंशन रोक दी गई.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नेहा भारद्वाज और सिद्धार्थ रंजन ने पैरवी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को हाई स्कूल शिक्षक के रूप में सारी प्रक्रियाओं को पूरी करने के बाद झारखंड के विभिन्न जिलों में नियुक्त किया गया था. उनकी ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि सरकार की ओर से पेंशन की एक बार स्वीकृति मिल जाती है तो उसके तीन साल तक ही सरकार पेंशन रोक सकती है. करीब 30 वर्ष बीत जाने के बाद सरकार को पेंशन रोकने का अधिकार नहीं है. मामले में सुमित्रा देवी, मंजू देवी, करुणा टोप्पो, माधुरी रानी गुप्ता सहित कई याचिकाकर्ताओं ने याचिका दाखिल कर नियुक्ति बहाल करने या पेंशन को फिर से शुरू करने का आग्रह किया है.