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Tata Sons के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कर्मचारियों को वर्ष 2025 का दिया संदेश, रतन टाटा के निधन पर भी बोले

New Delhi.टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने गुरुवार को कहा कि भारत की तरफ वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के बढ़ते रुझान को देखते हुए विनिर्माण क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को बदल देने की क्षमता रखता है. नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले टाटा समूह की नियंत्रक कंपनी के प्रमुख ने कर्मचारियों को नये साल के अपने संदेश में कहा कि मौजूदा वक्त ‘भारत के लिए विनिर्माण का नया स्वर्णिम युग’ है.

चंद्रशेखरन ने वर्ष 2024 में टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा के निधन से उपजे दुख का जिक्र करते हुए कहा कि अब ‘आशा और आशावाद की भावना के साथ’ 2025 की ओर देख रहे हैं. उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि जहां स्वास्थ्य सेवा और परिवहन क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (एआइ) की अगुवाई वाली उपलब्धियां पूरी मानवता की मदद कर सकती हैं, वहीं विनिर्माण क्षेत्र के भीतर भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता है.

उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं का भारत की तरफ रुख करना जारी है, क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े व्यवसाय जुझारूपन और दक्षता के बीच एक नया संतुलन बना रहे हैं. (कोविड-19) महामारी के समय एक अल्पकालिक प्रतिक्रिया की तरह लगने वाला यह रुझान कहीं अधिक स्थायी साबित हुआ है.

उन्होंने अगले आधे दशक में पांच लाख विनिर्माण नौकरियां पैदा करने की टाटा समूह की योजनाओं को दोहराते हुए कहा कि ये रोजगार के अवसर बैटरी, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन (इवी), सौर उपकरण और अन्य महत्वपूर्ण हार्डवेयर का उत्पादन करने वाले कारखानों और परियोजनाओं में निवेश से पैदा होंगे. पांच लाख नयी नौकरियां सेवा क्षेत्र की उन नौकरियों के अलावा होंगी, जिन्हें खुदरा, प्रौद्योगिकी सेवाओं, एयरलाइंस और आतिथ्य जैसे क्षेत्रों में पैदा होने की उम्मीद है.

सात से अधिक नये संयंत्रों में निर्माण कार्य शुरू :

उन्होंने कहा कि टाटा समूह के सात से अधिक नये विनिर्माण संयंत्रों में भूमिपूजन समारोह और निर्माण कार्य शुरू हो गया है. इनमें गुजरात के धोलेरा में भारत का पहला सेमीकंडक्टर फैब और असम में एक नया सेमीकंडक्टर ओएसएटी संयंत्र शामिल है. इस तरह के कदम हमारे समूह और भारत के लिए रोमांचक हैं, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे हर महीने कार्यबल का हिस्सा बनने वाले 10 लाख युवाओं को उम्मीद देते हैं. वे आशा और आशावाद की भावना के साथ 2025 की ओर देख रहे हैं, भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और इस दौर के बड़े रुझान हमारे पक्ष में हैं.

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