Ranchi. झारखंड सरकार की कैबिनेट ने मंगलवार को राज्यकर्मियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 18 प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी है. कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए प्रधान सचिव वंदना दादेल ने बताया कि राज्य के कार्यरत, सेवानिवृत्त कर्मियों, पदाधिकारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रस्ताव 31.7.2023 को पारित हुआ था. राज्यकर्मियों ने इसके लिए आवेदन दिया है, लेकिन कई त्रुटियां रह गयी थीं, जिन्हें संशोधित किया गया है. इसके तहत पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष इलाज के खर्च की सीमा रखी गयी है. अब इस योजना के तहत राज्य विधानसभा के वर्तमान सदस्य, राज्य के सभी सेवाओं के कर्मी भी शामिल किये गये हैं.
वहीं सेवानिवृत्त कर्मी, पूर्व विधायक, अखिल भारतीय सेवाओं के इच्छुक सेवारत व सेवानिवृत्त कर्मी, राज्य सरकार के विभिन्न बोर्ड-निगमों के कर्मी, राजकीय विश्वविद्यालय एवं उनके अंतर्गत अंगीभूत कॉलेज में कार्यरत/सेवानिवृत्त कर्मी शामिल होंगे.
कैबिनेट ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 में झारखंड हाइकोर्ट के स्तर पर गठित झारखंड अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति को 12.10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है.
इसके तहत निबंधित अधिवक्ताओं को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ प्रदान करने के लिए 6000 रुपये वार्षिक प्रीमियम के रूप में कुल अनुदान राशि नौ करोड़ रुपये दिय गये हैं. वहीं, 65 वर्ष से अधिक उम्र के अधिवक्ता लाइसेंस सरेंडर करने वाले इच्छुक अधिवक्तागण को पेंंशन के रूप में प्रतिमाह सात हजार रुपये की दर से कुल 1.60 करोड़ की अनुदान राशि के भुगतान की मंजूरी दी गयी है. वहीं, नये अधिवक्तागणों को पहले तीन वर्ष की अवधि के दौरान भत्ता के रूप में पांच हजार रुपये प्रतिमाह दिये जाने हैं. इसके लिए 1.50 करोड़ रुपये कुल 12.10 करोड़ रुपये का उपबंध झारखंड राज्य आकस्मिकता निधि से अग्रिम के रूप में कराने की स्वीकृति दी गयी है.
इसके अलावा कैबिनेट द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2029-30 तक ज्ञानोदय योजना के तहत 94.50 करोड़ रुपये की लागत से मध्य विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षा एवं कंप्यूटर आधारित शिक्षा(डिजिटाइजेशन ऑफ स्कूल) के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है. इसके अलावा मध्य विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा और दुमका में नियमित उड़ान सेवा के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से समझौते के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी. साथ ही विभागों में रखे जानेवाले प्रोफेशनल जो विशेष सचिव के स्तर के होते थे, का पद समाप्त कर दिया गया है.