नई दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से जुड़े सरकार के विशेष प्रयास की सराहना की. उन्होंने कहा कि इससे सुशासन को नया आयाम मिलेगा. साथ ही उन्होंने महाकुंभ को भारत की समृद्ध विरासत की अभिव्यक्ति बताया और वर्तमान में हमारी परंपराओं और रीति रिवाजों को पुनर्जीवित करने के कई प्रयास चल रहे हैं.
राष्ट्र के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ जैसे सुधारों के लिए दूरदर्शिता और साहस की आवश्यकता होती है. इस संबंध में विधेयक को संसद में पेश किया गया है. इससे शासन में स्थिरता आएगी. नीतिगत पंगुता रुकेगी, संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा तथा वित्तीय बोझ घटेगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने भाषण में संविधान और चुनाव प्रक्रिया के 75 वर्षों की यात्रा का उल्लेख किया और कहा कि इस दौरान सोये भारत की आत्मा फिर से जागी और विश्व समुदाय में समुचित स्थान प्राप्त करने के लिए अग्रसर हुई है. उन्होंने कहा कि संविधान सभा में सभी समुदायों और हिस्सों का प्रतिनिधित्व था. महिला सशक्तिकरण जब एक दूरस्थ आदर्श था, हमारे राष्ट्र की नियति को आकार देने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सरकार के दूरदर्शी आर्थिक सुधारों और उनसे प्राप्त प्रगति का उल्लेख किया और कहा कि सरकार समावेशी विकास को प्राथमिकता दे रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने जन कल्याण को नई परिभाषा दी है और आवास तथा जल जैसी बुनियादी जरूरत को अधिकार माना है. पिछड़े वर्गों का डिजिटल समावेशन किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि 1947 में भारत को आजादी भले ही मिली थी लेकिन अब औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने का प्रयास किया जा रहा है. इस संबंध में उन्होंने तीन नए आपराधिक कानूनों का उल्लेख किया. उन्होंने भारतीय भाषाओं के संरक्षण और उसमें शोध कार्यों को बढ़ावा देने के प्रयासों तथा खेल, अंतरिक्ष और साइबर फिजिकल सिस्टम जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारत की बढ़ते कदमों की सराहना की.
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत आज वैश्विक स्तर पर दुनिया के लिए एक उदाहरण बन रहा है. मिशन लाइफ के माध्यम से भारत ने दुनिया को एक संदेश दिया है. एक पेड़ मां के नाम अभियान से देश में 80 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य समय से पहले पूरा किया है. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इन प्रयासों से दुनिया सबक ले सकती है.