केरला समाजम समेत कई अन्य प्राइवेट स्कूलों द्वारा धारा 7.A(3)का उल्लंघन कर विद्यालय प्रांगण में खुलेआम किताब-कॉपी की बिक्री कराने पर जिले के वरीय अधिकारी रद्द करा सकते हैं धारा 7.A(3)(4) के तहत विद्यालय की मान्यता एवं दर्ज कर सकते हैं कंजूमर प्रोटेक्शन एक्ट के उल्लंघन का मामला, अधिकारी और जनप्रतिनिधि बने तमाशबीन?
जमशेदपुर समेत झारखंड के कई निजी विद्यालयों में धारा 7A(3) का उल्लंघन कर खुलेआम स्कूल कैंपस में किताब-कॉपी बिक्री कराया जा रहा है, निजी विद्यालयों द्वारा मनपसंद पुस्तक विक्रेताओं से अभिभावकों को ऊंची कीमत पर किताब-कॉपी खरीदने हेतु विवश किया जाता है , जिससे कंजूमर प्रोटेक्शन एक्ट का भी उल्लंघन होता हैl
विद्यालय प्रबंधन द्वारा अभिभावकों एवं बच्चों को बुक लिस्ट देने के बजाय किस-किस तिथि को किस किस कक्षा का पुस्तक बिक्री, स्कूल कैंपस में कितने से कितने बजे तक किया जाएगा, सिर्फ यह मैसेज भेजा जा रहा है l
लोगों की माने तो जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारी भी अपने नजदीकियों का नामांकन मनचाहा निजी विद्यालय में आसानी से बैक डोर से कराने के लिए या कोटा ना कट जाए इसके भय से अभिभावकों की समस्या से मुंह मोड़े दिखते हैं , जिसके कारण ही संभवत निजी स्कूल प्रबंधन अपने पसंदीदा या ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने वाले पुस्तक विक्रेता, ड्रेस विक्रेता, जूता विक्रेता इत्यादि से ही सामान खरीदने को बाध्य करते हैं एवं जनप्रतिनिधि लाचारी वश चंद धन प्रतिनिधि का साथ देते देखे जाते हैंl
जमशेदपुर जैसे विकसित माने जाने वाले शहर ,जहां से झारखंड के कई नेता मुख्यमंत्री,मंत्री समेत सूबे के कई महत्वपूर्ण पद पर विराजमान है, ऐसे शहर में या यूं कहें कि उनके नाक के नीचे निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा अभिभावकों को लाचार कर अपने निजी स्वार्थ के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर ,अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं पर जनप्रतिनिधि चंद गिने-चुने धन प्रतिनिधि के आगे खामोश से दिख रहे हैं?अब देखना है कि चाणक्य समझे जाने वाले राजनेता, सूबे के मंत्री जो जमशेदपुर से वास्ता रखते हैं, समेत अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपरोक्त मामले में कार्रवाई करवा पाते हैं अथवा नहीं?