New Delhi.सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी. उन्हें यह जमानत दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के संबंध में सीबीआइ द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में दी गयी है. कोर्ट ने कहा कि निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना नहीं है. ऐसे में लंबे समय तक उन्हें जेल में रखना स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित करने के समान है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी. केजरीवाल शाम छह बजे तिहाड़ जेल से बाहर आ गये. वहीं, न्यायमूर्ति भुइयां ने अलग से निर्णय लिखा. उन्होंने कहा कि सीबीआइ को ‘पिंजरे में बंद तोता’ होने की धारणा को दूर करना चाहिए, यह दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है.
ऐसी धारणा को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए कि जांच निष्पक्ष नहीं हुई तथा गिरफ्तारी दमनात्मक एवं पक्षपातपूर्ण तरीके से की गयी. गौरतलब है कि मई 2013 में भी न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने कोयला घोटाला मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआइ को ‘मालिक की आवाज में बोलने वाला पिंजरे में बंद तोता’ कहा था. इधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में कहा कि वह देश को कमजोर करने के लिए काम कर रही ‘राष्ट्र विरोधी’ ताकतों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जेल में रहने से उनका हौसला और मजबूत हुआ है.
नीली कमीज पहने केजरीवाल ने एक वाहन से समर्थकों को संबोधित करते हुए इंकलाब जिंदाबाद और वंदे मारतम जैसे नारे लगाए. उन्होंने कहा, ‘ये राष्ट्र विरोधी ताकतें जो देश को कमजोर करने, इसे बांटने की कोशिश कर रही हैं… मैंने हमेशा उनके खिलाफ लड़ाई लड़ी है और आगे भी उनके खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा.’ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, कि मैंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है और बड़ी-बड़ी मुश्किलों का सामना किया है, लेकिन भगवान ने हर कदम पर मेरा साथ दिया है। भगवान ने मेरा साथ दिया क्योंकि मैं सच्चा था.