Slider

सरायकेला-खरसावां जिला पुलिस-प्रशासन बालू माफियाओं के अवैध खनन के मुद्दे पर राजनैतिक दबाव के कारण, जानकारी के अभाव में अथवा मिलीभगत के कारण मौन ? 

सरायकेला-खरसावां जिला पुलिस-प्रशासन बालू माफियाओं के अवैध खनन के मुद्दे पर राजनैतिक दबाव के कारण, जानकारी के अभाव में अथवा मिलीभगत के कारण मौन ?

सरायकेला-खरसावां समेत झारखंड के कई नदी घाट से प्रतिदिन बड़े पैमाने पर बालू का अवैध निकासी किया जा रहा हैl  सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन ने बीते दिनों अवैध बालू निकासी रोकने हेतु टास्क फोर्स के गठन की बात कही थी, इसके बावजूद सरायकेला-खरसावां जिले के कई घाटों से धड़ल्ले से दिनदहाड़े बड़े पैमाने पर बालू की निकासी की जा रही हैl

मीडिया रिपोर्ट की माने तो सरायकेला-खरसावां जिले में हो रहे बालू  की अवैध निकासी में जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध हैl मीडिया रिपोर्ट की माने तो बिना  जिला प्रशासन, जिला खनन पदाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी के मिलीभगत से खुलेआम अवैध बालू का कारोबार संभव नहीं है lजिला प्रशासन की मिलीभगत से ही दिनदहाड़े बालू की निकासी संबंधित समाचार जमशेदपुर से प्रकाशित एक दैनिक अखबार ने प्रमुखता से  प्रकाशित किया गया l इस समाचार को देखने से यह प्रतीत होता है कि एक पत्रकार जिनके पास कोई पुलिस फोर्स एवं बॉडीगार्ड नहीं है, निर्भीकता पूर्वक उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए तस्वीर के साथ बालू माफियाओं के कारनामे जग जाहिर किया है, पर वही जिले के उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक एवं जिला खनन पदाधिकारी समेत अन्य रक्षक वर्ग जो सरकारी राजस्व की चोरी रोकने हेतु वचनबद्ध है एवं वेतन पर कार्य करते हैं ,  बड़े पैमाने पर बॉडीगार्ड एवं फोर्स के काफिले के साथ चलते हैं उनका ध्यान ऐसे अवैध कारोबारियों पर नहीं जा पाता क्यों ? यह जिला वासियों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ हैl  बुद्धिजीवियों की माने तो इनका कहना है कि जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के मिलीभगत के बिना यह अवैध खेल संभव नहीं है ! पैसा ऊपर से नीचे तक बिना बांटे इस प्रकार का अवैध कारोबार 24*7 नहीं चलाया जा सकता है l

Share on Social Media
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now