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बांग्लादेशी घुसपैठ पर चंपाई सोरेन ने हेमंत सरकार को घेरा, बोले, शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गाड़ने से सच्चाई नहीं बदलती

  • 16 सितंबर को आदिवासी समाज पाकुड़ में करेगा महासम्मेलन

Jamshedpur. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर हेमंत नीत गठबंधन सरकार को घेरा है. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, वोट बैंक के लिए कुछ राजनीतिक दल भले ही आंकड़े छिपाने का प्रयास करे, लेकिन शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गाड़ लेने से सच्चाई नहीं बदल जाती. उन्होंने लिखा कि वोटर लिस्ट पर नजर डालने से यह साफ हो जाता है कि आदिवासियों को उनकी माटी से बेदखल करने में बांग्लादेशी घुसपैठिए काफी हद तक सफल हो गए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने गायब होते आदिवासी समाज पर कई सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने कहा कि आज पाकुड़ में हमारा आदिवासी समाज अल्पसंख्यक हो चुका है. ‘पाकुड़ के जिकरहट्टी स्थित संथाली टोला और मालपहाड़िया गांव में अब आदिम जनजाति का कोई सदस्य नहीं बचा है, तो आखिर वहां के भूमिपुत्र कहां गए? उनकी जमीनों, उनके घरों पर अब किसका कब्जा है? इसके साथ-साथ वहां के दर्जनों अन्य गांवों-टोलों को जमाई टोला में कौन बदल रहा है? अगर वे स्थानीय हैं, तो फिर उनका अपना घर कहां है? वे लोग जमाई टोलों में क्यों रहते हैं ? किस के संरक्षण में यह गोरखधंधा चल रहा है? ’

चंपाई सोरेन ने एक्स पर लिखा ‘इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए आगामी 16 सितंबर को आदिवासी समाज द्वारा पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड में मांझी परगाना महासम्मेलi का आयोजन किया गया है, जिसमें हम लोग समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधानों एवं अन्य मार्गदर्शकों के साथ बैठ कर इस समस्या का कारण समझने तथा समाधान तलाशने पर मंथन करेंगे. इसी दिन बाबा तिलका मांझी और वीर सिदो-कान्हू के संघर्ष से प्रेरणा लेकर हमारा आदिवासी समाज अपने अस्तित्व तथा माताओं, बहनों एवं बेटियों की अस्मत बचाने हेतु सामाजिक जन-आंदोलन शुरू करेगा. हमें विश्वास है कि ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ विद्रोह करने वाले वीर शहीदों की यह धरती (पाकुड़) पूरे संथाल-परगना को बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ संघर्ष की राह दिखाएगी.’

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