10 भारतीय कंपनियों के नाम एक सांस में बताया जा सकता है, जिनका माल हम “मेड इन इंडिया” समझकर खरीदते हैं और वह माल चीन से 20% कीमत पर आया होता है। कंपनियां हमसे चार गुना मुनाफा बस सर्विस और ब्रांडिंग का लेती हैं।
चीन का माल बिकना तभी रुक सकता है जब सरकार आयात रोके। जनता से अपील न करे कि चीन का सामान न ख़रीदे। देशव्यापी अभियान चलाया जाए कि चीन से आयात रुके।
हरेक की इच्छा भी यही है कि चीन को फायदा मिलना बंद हो पर यह इच्छा बिल्कुल नहीं है कि चीन का माल “मेड इन इंडिया” के लोगो लगाकर पांच गुना कीमत पर बिके जैसा कई कंपनियां आलरेडी कर रही हैं। चीन के आप्लिकेशन, वेबसाइट आदि इस्तेमाल करना बंद कीजिए वह फिर भी कुछ हद तक ठीक है।
पर रिटेलर से सामान लेना बंद करने से चीन प्रभावित होगा? अरे उस माल पे मैन्युफैक्चरर, एक्सपोर्टर, इम्पोर्टेर और होलसेलर को फायदा आलरेडी हो चुका है। रिटेलर जेब से कॉस्ट दे चुका है। ऐसे में आप चीनी सामान का बहिष्कार करके बस छोटे दूकानदार का दिवाला निकाल सकते हैं, चीन का नहीं हो सकता है।
चीन का फायदा रोका जाए पर उसकी कीमत भारत की जनता के नुकसान से न हो, क्योंकि भारतीय बाज़ार, ख़ासतौर से छोटा व्यापारी पहले ही मंदी और लॉकडाउन की दोहरी मार झेल रहा है। चाहे वह फ़ोन बेचने वाला हो या खिलौने या झालर बेचने वाला।
इस समय चीन का सेंसिबल व्यापारिक विरोध ज्यादा से ज्यादा चीन की मोबाइल एप्लीकेशन, वेबसाइट आदि को त्याग कर किया जा सकता है। वैसे उससे भी कई भारतीयों की आमदनी प्रभावित होगी पर उनमें से अधिकांश के लिए वह दोयम इनकम है – मतलब उनका काम चल जाएगा, उनके पास विकल्प हैं.. साथ ही भारत में चीन के ब्रांड का कम्पटीशन तैयार किया जाए जिससे आने वाले समय में निर्भरता कम हो।
वैसे रॉ मटेरियल और मशीनरी सरकार बहुत आयात करती है चीन से और इस के निर्यात से भी कम फायदा नहीं होता है चीन को।
Kumar Manish,9852225588