शिमला. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने देशभर के उन गुमनाम नायकों को सम्मानित करने का फैसला किया, जिन्होंने अपने प्रयासों से समाज में विशेष योगदान दिया है. इस कड़ी में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के किसान हरिमन शर्मा का पद्मश्री सम्मान के लिए चयन हुआ. हरिमन शर्मा ने 40 से 46 डिग्री तापमान वाली भीषण गर्मी में सेब की एचआरएमएन-99 किस्म विकसित कर असंभव को संभव बना दिया.
हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन आमतौर पर बर्फबारी वाले पहाड़ी इलाकों शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी और चंबा में होता है. लेकिन हरिमन शर्मा ने निचले हिमाचल के गर्म क्षेत्रों में भी सेब उगाकर एक नई क्रांति लाई. उन्होंने 1999 में इस दिशा में शोध शुरू किया और 2007 में एचआरएमएन-99 सेब की किस्म तैयार की.
बदल डाला सेब की खेती का भूगोल
हरिमन शर्मा ने इस नई किस्म को पहले बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, सोलन और कांगड़ा जिलों में बागवानों के खेतों में लगवाया. धीरे-धीरे यह किस्म इतनी लोकप्रिय हुई कि देश के सभी राज्यों में इसकी खेती शुरू हो गई. आज एचआरएमएन-99 किस्म के 14 लाख पौधे देश के विभिन्न राज्यों सहित जर्मनी, नेपाल, बांग्लादेश, ओमान जैसे देशों में भी भेजे जा चुके हैं.
राष्ट्रीय नव परिवर्तन प्रतिष्ठान के वैज्ञानिकों ने एचआरएमएन-99 किस्म पर शोध कार्य किया व भारत के सभी 29 राज्यों में पौध रोपण करवाया जिन में से 23 राज्यों में एचआरएमएन-99 किस्म ने फल देना शुरू भी कर दिया है. यही नहीं बंगला देश, नेपाल, जर्मनी, जांविया में भी पौधे सफलता पूर्वक फल दे रहे हैं.
सफलता ने दिलाई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान
हरिमन शर्मा को उनके नवाचार के लिए 15 राष्ट्रीय और 10 राज्य स्तरीय पुरस्कारों से नवाजा गया है. उन्होंने न केवल सेब, बल्कि आम, कीवी, अनार, और लीची जैसी फसलों की खेती को भी सफलतापूर्वक नए क्षेत्रों में लागू किया. उनकी प्रेरणा से हिमाचल प्रदेश के सात जिलों में बागवानों ने एक लाख से अधिक सेब के पौधे लगाए हैं.
हरिमन शर्मा का जन्म 4 अप्रैल 1956 को बिलासपुर जिले के घुमारवीं तहसील के एक छोटे से गांव में हुआ. उनकी माता का देहांत उनके जन्म के तीन दिन बाद ही हो गया. जिसके बाद उनका पालन-पोषण गोद लिए पिता ने किया. शिक्षा केवल मैट्रिक तक ग्रहण करने वाले हरिमन ने अपने अनुभव और मेहनत से खेती को नई ऊंचाई दी.
वैज्ञानिकों ने भी माना लोहा
हरिमन शर्मा की सफलता ने वैज्ञानिकों का भी ध्यान आकर्षित किया. हिमाचल प्रदेश सरकार ने उन्हें डॉ. वाईएस परमार वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय, नौणी सोलन की कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया. वैज्ञानिकों ने भी एचआरएमएन-99 किस्म पर शोध किया और इसे वैकल्पिक कृषि के रूप में मान्यता दी.
पद्मश्री से सम्मानित होने पर खुशी
हरिमन शर्मा ने पद्मश्री सम्मान मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने इसे हिमाचल प्रदेश और देश के किसानों को समर्पित किया.