New Delhi.भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया है कि 2024 का दक्षिण-पश्चिम मानसून सोमवार को आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया. इस दौरान भारत में 934.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो दीर्घावधि औसत का 108 प्रतिशत तथा और 2020 के बाद से सबसे अधिक बारिश है. आईएमडी के मुताबिक, मध्य भारत में इस क्षेत्र के दीर्घकालिक औसत से 19 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई, दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से 14 फीसदी ज्यादा तथा उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से सात प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई. आंकड़ों के मुताबिक, पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 14 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई.
देश में जून में 11 प्रतिशत कम वर्षा हुई, लेकिन जुलाई में नौ प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। इसके बाद अगस्त में 15.7 फीसदी तथा सितंबर में 10.6 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई. साल 2023 में मानसून सीजन में भारत में 820 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी, जो दीर्घकालिक औसत का 94.4 प्रतिशत थी.
देश में 2022 में 925 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो दीर्घावधि औसत का 106 फीसदी थी. वर्ष 2021 में 870 मिमी, और 2020 में 958 मिमी बारिश हुई थी. आईएमडी ने इस वर्ष मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा (दीर्घावधि औसत का 106 प्रतिशत) होने का अनुमान जताया था. इसने पूर्वोत्तर भारत के लिए सामान्य से कम मानसून वर्षा, उत्तर-पश्चिम के लिए सामान्य वर्षा, तथा मध्य और दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के लिए सामान्य से अधिक वर्षा का भी सटीक पूर्वानुमान लगाया.
भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52 प्रतिशत हिस्सा इस पर निर्भर है.