मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी.
Ranchi. झारखंड हाइकोर्ट ने नशा के कारोबार व अफीम की खेती को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पक्ष सुनने के बाद मौखिक रूप से कहा कि पुलिस का नशा कारोबार रोकने का अभियान सिर्फ दिखावा वाला नहीं होना चाहिए. कार्रवाई का असर धरातल पर दिखना चाहिए. झारखंड में गांजा, चरस, अफीम जैसे मादक पदार्थों की खरीद-बिक्री को हर हाल में रोका जाये. इसे रोकने को लेकर पुलिस कठोर कार्रवाई करे.
खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि पुलिस व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) आपसी सहयोग से राज्य में हो रही अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए कार्रवाई करें. खूंटी सहित राज्य के कई जिलों में जंगलों में अफीम की खेती होती है. पुलिस व एनसीबी के समन्वय से तथा सैटेलाइट मैपिंग के माध्यम से अफीम की खेती का पता लगाया जाये. साथ ही इसको नष्ट करने की दिशा में त्वरित कार्रवाई की जाये. खंडपीठ ने अफीम, चरस, गांजा सहित अवैध शराब की बिक्री पर नियंत्रण पाने को लेकर पुलिस स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) बनाने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने रांची एसएसपी से कहा कि राजधानी में स्कूल व मंदिरों के समीप किसी भी स्थिति में शराब की बिक्री नहीं होनी चाहिए. मंदिरों के पास बार व रेस्टोरेंट खोला जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. उत्पाद विभाग के साथ-साथ रांची पुलिस की भी यह जिम्मेवारी है कि अवैध तरीके से शराब की बिक्री नहीं हो. खंडपीठ ने मौखिक कहा कि यह मुंबई या गोवा नहीं है, बल्कि यह रांची है. यहां के बार व रेस्टूरेंट को नियंत्रित ढंग से काम करना होगा, ताकि सामाजिक दायित्व का समुचित निर्वहन हो सके. देर रात तक बार खुले रहने से अप्रिय घटना होने की अधिक संभावना रहती है.
पीसीआर वैन रात में शराबियों व आपराधिक तत्वों पर नजर रखे, ताकि अप्रिय घटना नहीं हो सके. खंडपीठ ने उक्त निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 अगस्त की तिथि निर्धारित की. मामले की सुनवाई के दाैरान प्रभारी डीजीपी अनुराग गुप्ता व रांची के एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा उपस्थित थे. उल्लेखनीय है कि खूंटी जिले में अफीम की बढ़ती खेती को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.