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जिस प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं,वहां सरकार कुछ दिनों बाद क्यों डोलने लगती है!कही झारखंड में आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता तो नहीं?

जहां बीजेपी के सरकार नहीं वहां सरकार कुछ दिनों बाद क्यों डोलने लगती है ,कही झारखंड में आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता तो नहीं?

झारखंड राज्य में कुछ भी-कभी भी, अनकही-अनसुलझे सत्ता परिवर्तन की अनहोनी अचानक से परिवर्तित होती आ रही है । वर्तमान झारखंड सरकार के अंदर खाने सब कुछ ठीक-ठाक नहीं होने के संकेत मिल रहे हैं। इशारों ही इशारों से समझाया जा रहा है कि सरकार के अंदर खाने में पर्दे के पीछे कुछ खिचड़ी पक रही है। प्राप्त जानकारी एवं चर्चाओं के अनुसार प्रदेश में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के सहयोग से बनी हेमंत सरकार पर खतरे बढने की संभावनाएं प्रबल होने लगी है । चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस के 9 विधायकों ने राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के नेतृत्व में बगावत कर कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं के साथ दिल्ली आलाकमान तक पहुंचे हैं। वहां से लौटने के बाद यह विधायक खामोश बैठे हुए हैं ।जो कुछ अचानक होने के रहस्य प्रतीत हो रहा है। जो अपना पता और मुंह नहीं खोल रहे हैं, लेकिन रहस्य बरकरार बना हुआ है। खबरों के अनुसार राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू के नेतृत्व में कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कश्यप और उमा शंकर अकेला हेमंत सरकार की शिकायत लेकर दिल्ली पहुंचे और बहुत कुछ शिकायतों का पिटारा खोलें। राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं के अनुसार एक ओर कांग्रेसी विधायक हेमंत सरकार के कामकाज से नाराज हैं तो दूसरी ओर पार्टी प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिह की कार्यशैली से काफी हताश और दुखी है। नाराज विधायकों का मानना है कि आरपीएन सिंह सरकार और मंत्रियों पर दबाव में अड़चन पैदा कर रहे हैं ।बताया जा रहा है कि महज इसी वजह से प्रदेश प्रभारी से शिकायत करने की बजाय वे दिल्ली हाईकमान से शिकायत करने पहुंचे थे। राजनीतिक चर्चाओं के अनुसार नाराज 3 कांग्रेसी विधायक के पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर राज्य की क्रियाकलापों से अवगत कराते हुए लौटने के बाद अपना पता नहीं खोल रहे हैं। चर्चाओं के अनुसार विधायकों ने आलाकमान से कहा है कि एक मंत्री का पद खाली है और हेमंत सरकार में उनकी नहीं सुनी जा रही है। कांग्रेस के विधायकों के साथ रवैया ठीक नहीं रहता है। वहीं दूसरी ओर इस बीच प्रदेश के दिग्गज नेता राजनीतिक चाणक्य माने जाने वाले श्री सरयू राय के बयान ने हेमंत सरकार में बगावत की खबरों को और प्रबल कर दिया है । सरयू राय ने ने मीडिया से बातचीत के दौरान राज्य सरकार की स्थिरता को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने झामुमो – कांग्रेस गठबंधन सरकार को लेकर साफ कहा कि जब तक कांग्रेस चाहेगी तब तक राज्य सरकार चलेगी। सियासी जानकार सरयू राय के इस बयान के कई मायने निकाल रहे हैं। इस बयान को कांग्रेस पार्टी के विधायकों की नाराजगी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। खबरों के अनुसार राज्य सभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू ने हेमंत सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति की कमान संभाली है। उनका साथ जामताड़ा विधायक और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर इरफान अंसारी बरही के विधायक उमाशंकर अकेला और खिजरी के विधायक राजेश कश्यप दे रहे हैं जो दिल्ली हाईकमान तक शिकायत पहुंचाने में साथ रहे हैं। झारखंड में जेएमएम कांग्रेसी आरजेडी महागठबंधन की सरकार है 2019 मे हुए विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 30 विधायक ,कांग्रेस के 16 और आरजेडी के एक विधायक निर्वाचित हुए थे । भाजपा के पास 25 सीटें हैं l वर्तमान में कुछ सीटें रिक्त भी है l 81 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 42 है ऐसी स्थिति में महज 9 विधायकों की नाराजगी से हेमंत सरकार पर पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं और विधायकों की बगावती तेवर से हेमंत सरकार की मुश्किलें पैदा हो गई है। ऐसे भी प्रदेश की राजनीति, विधानसभा चुनाव के पूर्व और बाद में अक्सर कुछ नया इतिहास रचते आई है। इसलिए झारखंड में कुछ भी मुमकिन नहीं है।
ए के मिश्र

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