जमशेदपुर के निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा अभिभावकों का आर्थिक, मानसिक शोषण करने पर जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी की लाचारी का वजह तलाश रहे हैं जमशेदपुर की जनता!
जमशेदपुर के निजी विद्यालय प्रबंधन, सरकार के आदेश को किसी न किसी रूप में तोड़ कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं l जनप्रतिनिधि लाचार एवं नतमस्तक दिख रहे है l जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है l करोना महामारी के दौरान अब तक कई अभिभावक अपनी रोजी-रोटी की व्यवस्था भी नहीं कर पाए हैं एवं दूसरी ओर स्कूल प्रबंधन तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर अभिभावकों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस भी वसूल रहे हैं l
जिले के सरकारी अधिकारी लिखित शिकायत की बात कह कार्रवाई से हाथ पीछे खींच रहे हैं, बीते दिनों जमशेदपुर के कई निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा कई छात्र छात्राओं को ट्यूशन फीस एवं वार्षिक फीस देने में विलंब के कारण ऑनलाइन क्लास एवं परीक्षा में शामिल होने से रोकने के लिए हथकंडे अपनाए गए l स्कूल प्रबंधन के हथकंडे के आगे लाचार अभिभावक, विद्यालय प्रबंधन के द्वारा जो भी राशि जमा करने का आदेश किया गया मजबूरी वश करते देखे गए l सरकार के आदेश के विपरीत जमशेदपुर के कई प्राइवेट विद्यालय के द्वारा चुपके से 20 से 40% तक ट्यूशन फीस बढ़ाने की भी चर्चा है l अभिभावकों का कहना है कि कई विद्यालय प्रबंधन वार्षिक फीस की राशि को ट्यूशन फीस में एडजस्ट करा कर बढ़ी हुई राशि वसूलने का प्रयास कर रहे हैं l बीते दिनों जमशेदपुर के निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा ज्यादा से ज्यादा मुनाफा वसूली के लिए अपने मनचाहे प्रकाशकों से स्कूल कैंपस में खुलेआम किताब कॉपी की बिक्री कराई गई l अभिभावकों के पास स्कूल प्रबंधन द्वारा बुक लिस्ट उपलब्ध नहीं कराए जाने की स्थिति में लाचार अभिभावक स्कूल कैंपस से खुलेआम ऊंचे मूल्य पर (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) पर किताब खरीदने को विवश दिखे l
इस संबंध में जिले के शिक्षा अधीक्षक एवं एडीएम लॉ ऑर्डर ने लहर चक्र संवाददाता को बताया स्कूल कैंपस में किताब तो बिक रही है पर अभिभावक को विवश नहीं किया जा रहा है, ऐसे में लिखित शिकायत मिलने के बाद ही स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई किया जा सकता है l
इस संदर्भ में जब अभिभावकों से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा बुक लिस्ट उपलब्ध नहीं कराया जाना एवं डिजिटल मीडिया के मार्फत अभिभावकों को स्कूल कैंपस में कक्षा एवं तिथि वार किताब कॉपी बिक्री का संदेश देना, किताब कॉपी की खरीद बिक्री को बढ़ावा देना एवं बाध्य करना के समान है, कुछ अभिभावक का कहना है कि अगर अभिभावकों द्वारा स्कूल प्रबंधन के खिलाफ इस संदर्भ में लिखित शिकायत करने पर स्कूल प्रबंधन द्वारा उनके मासूम बच्चों को तरह तरह से प्रताड़ित किया जाएगा, ऐसे में लाचारी बस स्कूल प्रबंधन को मनचाहा पैसा दे देना ही अभिभावकों की मजबूरी है l
अब देखना है कि जमशेदपुर के लोकप्रिय कहे जाने वाले जनप्रतिनिधि जनता के उपरोक्त समस्या पर कितना सार्थक कदम उठा पाएंगे ?