लोकसभा चुनाव में झारखंड के ट्राइबल सीटों पर हार का सामना करने के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव करना शुरू कर दिया है.
आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की नजर ओबीसी वोटबैंक को साधने पर है. इसके अलावे सवर्ण वोट जो भाजपा की पारंपरिक रही है, वो नाराज न हो इस पर ध्यान दिया जा रहा है.
यही वजह है कि ओबीसी का बड़ा चेहरा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री जो सवर्ण हैं हिमंता बिश्वा सरमा को झारखंड की जिम्मेदारी दी गई है.
भ्रष्टाचार के अलावे भाजपा कोई ऐसा मुद्दा वर्तमान में नहीं बना पा रही है जिसे जनता तक पहुंचा जा सके. इन सबके बीच इंडिया गठबंधन की ओर से चंपाई सरकार द्वारा लगातार लोकलुभावन घोषणा की जा रही है. जिसका काट भाजपा के लिए कड़ी चुनौती है.
इस साल के अंत में झारखंड में होनेवाले विधानसभा चुनाव को जीतना शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिश्व सरमा के लिए कठिन चुनौती है. वर्तमान राजनीतिक हालात और लोकसभा चुनाव परिणाम स्पष्ट संकेत दे रहा है कि भाजपा का न केवल ट्राइबल वोट बैंक में कमी आई है, बल्कि सामान्य सीटों पर भी जनाधार में कमी आई है.
2019 की तुलना में 2024 की परिस्थिति और भी खराब है. इसके पीछे कई वजह है. संगठन के अंदर अंदरूनी कलह जो टॉप-टू-बॉटम तक देखी जा रही है. इसे दूर करना दोनों नेताओं के लिए बड़ी चुनौती है.
Kumar Manish,9852225588