सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ़ एवं तिरुलडीह क्षेत्र में एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ते हुए खुलेआम अवैध बालू का कारोबार चल रहा है.उक्त क्षेत्र में प्रशासन बालू के अवैध कारोबार को रोकने में विफल रहा है.
ज्ञात हो कि पूरे भारत में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा बालू के खनन पर 15 जून से 15 अक्टूबर तक रोक लगाया गया है,वहीं ईचागढ़ एवं तिरुलडीह क्षेत्र में एनजीटी के आदेश का उल्लंघन कर खुलेआम अवैध बालू का भंडारण एवं अवैध सप्लाई कराया जा रहा है.
सूत्र बताते हैं कि जिले के तेज तर्रार उपायुक्त एवं जिला खनन पदाधिकारी के संयुक्त टीम के द्वारा बीते दिनों ईचागढ़ क्षेत्र के बीरडीह में छापेमारी भी की गई थी, उक्त छापेमारी में बालू के अवैध कारोबार में प्रयोग किया जा रहे 16 हाईवा और एक जेसीबी मशीन को पकड़ा भी गया था, उक्त छापेमारी में 2 से 3 लाख सीएफटी अवैध बालू जप्त भी किया गया था.
सूत्र बताते हैं कि सरायकेला- खरसावां जिले के उपायुक्त एवं जिला खनन पदाधिकारी के संयुक्त टीम के द्वारा बिरडीह में जप्त किया गया बालू को बीरडीह के बालू माफिया के द्वारा पुनः बेहिचक लगभग 35 से 40 हजार रूपए प्रति हाइवा बेचा जा रहा है.
उक्त बालू के अवैध कारोबार में सफेद पोश के भी शामिल होने की चर्चा है, जिसके कारण सरायकेला-खरसावां जिले में एनजीटी के आदेश का भी उल्लंघन किया जा रहा है.
सूत्र बताते हैं कि सरायकेला- खरसावां जिले के ईचागढ़ एवं तिरुलडीह क्षेत्र में रात में 12:00 के बाद और सुबह 8 बजे के पहले बड़े पैमाने पर अवैध बालू की ढुलाई ट्रैक्टर, ट्रक, डंपर,हाईवा से की जाती है, उक्त क्षेत्र के अवैध बालू कारोबार में लिप्त गिरोह द्वारा बालू को जमशेदपुर एवं सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर,गम्हरिया इत्यादि स्थानों में में ऊंचे दामों पर बेचा जाता है.
इस क्षेत्र में बालू के अवैध कारोबार को किस स्थानीय नेता एवं पदाधिकारी के संरक्षण में चलाया जा रहा है यह तेज तर्रार समझे जाने वाले उपायुक्त एवं जिला खनन पदाधिकारी के लिए जांच का विषय है.
ईचागढ़ और तिरुलडीह क्षेत्र के अवैध बालू को जमशेदपुर एवं सरायकेला-खरसावां के आदित्यपुर, गम्हरिया इत्यादि स्थानों में ले जाने पर उक्त बालू माफियाओं को लगभग 4 से 6 थाना पार करना पड़ता है, पर भ्रष्टाचारियों की गहरी पैठ के कारण सभी मौन समर्थन देते प्रतीत होते हैं, जिससे अवैध बालू खनन में लिप्त बालू माफिया मालामाल हो रहे हैं.
एक घर बनाने वाले व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बालू की महंगाई सबसे बड़ी परेशानी है. यहां प्रति हाईवा ₹40000 बालू मिल रहा हैं और लोग मजबूरी में महंगे दामों पर हाईवा से बालू खरीद रहे हैं. सरकार ने बालू का टेंडर नहीं किया है, जिससे अवैध बालू का कारोबार खुलकर चल रहा है. यहां बालू के अवैध कारोबारी अपनी मर्जी से दाम तय करते हैं, शहर में बालू से लदे ओवरलोड ट्रैक्टर, ट्रक, डंपर और हाइवा पुलिस और पदाधिकारी की नाक के नीचे से चल रहे हैं, लेकिन कोई रोक लगाने में सक्षम नहीं दिख रहा है.
अब देखना है कि जिला प्रशासन को चुनौती देते हुए अवैध बालू खनन में लिप्त माफिया पर जिला प्रशासन करवाई कर पाती भी हैं या नहीं!