नियोजन नीति 2021 को हाई कोर्ट ने किया निरस्त l हिंदी-अंग्रेजी भाषी को अलग करने की सरकार की नीति हुई रद्द, एकता विकास मंच ने न्यायालय के फैसले पर जताया विश्वास, मंच ने कहा 80 फीसदी जनता की जीतl
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधित नियमावली -2021 को चुनौती देने वाली याचिका को झारखंड हाइकोर्ट ने स्वीकार करते हुए नियमावली को रद्द कर दिया है.
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए उस नियमावली को रद्द कर दिया गया है जिसमें भाषाई आधार पर हिंदी और अंग्रेजी भाषी लोगों को नियोजन से वंचित कर दिया था.
सरकार के इस निर्णय पर सामाजिक संस्था एकता विकास मंच ने झारखंड हाईकोर्ट में राज्य कर्मचारी चयन आयोग को लेकर एवं भाषा संबंधित जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर झारखंड हाई कोर्ट द्वारा आज फैसला आया है. आज न्यायाधीश रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि यह सरकार की असंवैधानिक नियोजन नीति 2021 थी जिसे आज रद्द किया जाता है.
बता दें कि एकता विकास मंच ने झारखंड सरकार की तुगलकी फरमान हिंदी अंग्रेजी को नियोजन नीति से हटाने के खिलाफ जन सहयोग से पैसे इकट्ठे कर जनहित याचिका दायर किया था. आज इस पर सकारात्मक फैसला आने पर एकता विकास मंच के केंद्रीय अध्यक्ष एके मिश्रा ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों का मंच हमेशा विरोध करता है और करता रहेगा. उन्होंने कहा कि मंच 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति और एकल पद को आरक्षित करने के खिलाफ भी न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर रही है, जिसे भी वे निरस्त करवा कर रहेंगे. चूंकि झारखंड में रहनेवाले गैरआदिवासी का भी राज्य के सभी क्षेत्रों में उतना ही हक है जितना राज्य के आदिवासियों भाइयों का है. जो लोग यहां 50-60 वर्ष से रह रहे हैं, अपनी पूरी जिंदगी झारखंड के हित में न्योछावर कर दिया है उन्हें और उनके बाल बच्चों को हक और अधिकार से कोई जनता के द्वारा चुनी गई सरकार कैसे वंचित कर सकती है. एकता विकास मंच के केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आज हाईकोर्ट में हुई जीत राज्य के 80 फीसदी जनता की जीत है.