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सरना धर्म की मांग पर संघ के मीडिया प्रमुख बोले, भारत में सभी जनजातियां हिंदू, सरना धर्म से जोड़ना विभाजन पैदा करने की कोशिश

New Delhi. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय प्रचार एवं मीडिया संचार प्रमुख प्रमोद पेठकर ने सोमवार को कहा कि भारत में सभी जनजातियां मूल रूप से हिंदू हैं. कुछ लोग इसके सदस्यों को ‘सरना’ जैसे अन्य धर्मों से जोड़ कर आदिवासी समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. झारखंड और उसके पड़ोसी राज्यों के विभिन्न समूह मांग कर रहे हैं कि ”सरना” को आदिवासियों का धर्म घोषित किया जाए, क्योंकि उनकी प्रथाएं और पूजा पद्धति हिंदुओं और देश के अन्य सभी धर्मों से अलग हैं.

इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग से ‘सरना कोड’ शामिल करने की मांग कर रही है. पेठकर यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सभी जनजातियां मूल रूप से हिंदू हैं. वे अतीत में हिंदू थे, वर्तमान में हिंदू हैं और वे भविष्य में भी हिंदू ही रहेंगे. उनसे जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग से ”सरना कोड” शामिल करने की मांग के बारे में पूछा गया था.

उन्होंने कहा कि आदिवासी और हिंदू दोनों ही प्रकृति पूजक हैं. झारखंड के कुछ हिस्सों में जनसांख्यिकी परिवर्तन के भाजपा के दावों के बारे में पूछे जाने पर पेठकर ने कहा कि यह प्रवृत्ति केवल झारखंड तक ही सीमित नहीं है. यह परिदृश्य पूरे देश में है. सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी वर्षों से इस तरह की प्रवृत्ति के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं.

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