New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश रूद्र प्रकाश मिश्रा के एक विचित्र मामले की सुनवाई के लिए सहमति दे दी, जिन्हें 10 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है, क्योंकि उनके पास सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खाता नहीं है.
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों के वर्तमान एवं पूर्व न्यायाधीशों की पेंशन एवं वेतन से संबंधित अन्य याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किये.
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई बाद में करने का इरादा किया था, लेकिन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के वकील द्वारा मुद्दा उठाए जाने के बाद उन्होंने जल्दी तारीख दे दी. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेंगे।” उन्होंने उनके मामले को अन्य याचिकाओं से अलग करने का आदेश दिया.
न्याय मित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रूद्र प्रकाश मिश्रा को वेतन नहीं मिल रहा है, क्योंकि बिहार सरकार का कहना है कि उसने नयी पेंशन योजना लागू की है. परमेश्वर ने कहा, ‘‘यह पूरा मामला न्यायिक अधिकारियों के लिए ‘एक रैंक एक पेंशन’ से संबंधित है तथा अन्य मामला राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजनाओं और नयी पेंशन योजनाओं के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन से संबंधित है.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एक ही कैडर के न्यायाधीशों की पेंशन में अंतर नहीं हो सकता. इससे पहले 12 जनवरी को पीठ ने न्यायमूर्ति मिश्रा की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी, जिसमें सामान्य भविष्य निधि खाता खोलने और उनका वेतन जारी करने के लिए हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था। न्यायमूर्ति मिश्रा को चार नवंबर, 2023 को जिला न्यायपालिका से उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था. इसके बाद पीठ ने केंद्र और बिहार सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी करके याचिका पर जवाब मांगा था.