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रांची: पुलिस ने पत्रकार को पीटा, एसएसपी से मिलकर पत्रकारों ने की कार्रवाई की मांग,पत्रकारों मे सुरक्षा कानून को लेकर आक्रोश ।

रांची: पुलिस ने पत्रकार को पीटा, एसएसपी से मिलकर पत्रकारों ने की कार्रवाई की मांग ।पत्रकारों मे सुरक्षा कानून को लेकर आक्रोश ।

आए दिन पत्रकारों के साथ कोई न कोई अनहोनी घटनाएं घट रही है, चाहे वह माफिया द्वारा हो, चाहे प्रशासन द्वारा हो, आज हर जगह पत्रकार अपनी ही सुरक्षा को लेकर असमंजस की स्थिति में रहते हैं। जिस पत्रकार पर गरीब ,नीरीह बेबस लोगों का भरोसा और उम्मीद रहता है। जहां प्रशासन और माफियाओं द्वारा आम जनता को उत्पीड़न कर जबरदस्ती दमन और प्रताड़ित किया जाता है ,प्रशासन द्वारा परेशान किया जाता है। वहां आम जनता की उम्मीदें पत्रकारों पर टिकी रहती है ,और पत्रकार अपनी सुरक्षा की परवाह किए बगैर उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए भरपूर अथक प्रयास कर उनकी उम्मीदों पर खरा उतरते हैं ,और न्याय दिलाने की दिशा में हमेशा तत्पर रहते हैं।आज वही पत्रकारों पर रांची के पुलिस, गुंडों की तरह एक पत्रकार के साथ मारपीट दिनदहाड़े बाजार में किया । मामला यह है कि पत्नी संग बाजार गये
पत्रकार को पीटा l
रांची मे शनिवार को मोरहाबादी मैदान में पुलिस की गुंडागर्दी एक बार फिर देखने
को मिली। रांची के स्वतंत्र पत्रकार आनंद दत्ता को एएसआइ मोहन महतो ने बेरहमी से मारपीट किया।आनंद के अनुसार वह शाम में पत्नी के साथ सब्जी खरीदने मोरहाबादी बाजार गये थे।उन्होंने देखा कि एएसआइ दो महिलाओं से पूछताछ कर रहा है।सामने आनंद को
देख एएसआइ ने पूछा कि यहां क्या कर रहे हो। आनंद दत्ता ने कहा कि सब्जी लेने आया
हूं।इस पर एएसआइ ने कहा कि झोला कहां है।उसने कहा कि झोला पत्नी के पास है, वह आगे बढ़ गयी है. इस पर एएसआइ ने अपना आपा खो दिया और गुंडे की तरह पत्रकार के साथ मारपीट करने लगा ।लोगों ने बीच-बचाव करने के प्रयास किया लेकिन नशे में धुत एएसआई ने किसी की बात नहीं सुनी और ताबड़तोड़ मारपीट करते हुए कॉलर पकड़कर पीसीआर में बैठा दिया और मोरहाबादी
टीओपी ले गये।वहां भी मारपीट किया गया और
पॉकेटमार कहकर शारीरिक मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया ।पत्रकारों को सूचना मिलते ही पत्रकारों ने पुलिसअधिकारियों से संपर्क किया और एएसआई द्वारा किए गए गुंडागर्दी की बात विस्तार से बताया गया ,तब आनंद को छोड़ा गया। पत्रकारों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और पत्रकारों पर अत्याचार के खिलाफ एकजुट होकर अपनी  आवाज बुलंद करने के लिए शीघ्र ही एक बैठक कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे । प्रेस क्लब रांची के
प्रतिनिधियों ने एसएसपी से एएसआइ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की वही पूरे मामले की लिखित जानकारी देते हुए आनंद दत्ता ने भी मामले में शिकायत एसएसपी से की है।SSP द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कर कार्रवाई करने की बातें कही गई है।
वहीं इस पूरे मामले में पत्रकार आनंद दत्ता को न्याय-दिलाने के लिए जर्नलिस्ट वैलफेयर ऐसोसिएशन के प्रदेश प्रभारी प्रीतम भाटिया और प्रदेश अध्यक्ष रामप्रवेश सिहं ने कडी़ निंदा करते हुए शीघ्र बर्खास्त करने की मांग की गई है। ऐसोसिएशन ने मुख्यमंत्री ,झारखंड पुलिस,विपक्ष के सांसद,विधायक समेत अन्य को ट्वीट कर कडी़ आपत्ति जताते हुए कहा है कि ” पत्रकार सुरक्षा कानून,आर्थिक पैकेज और बीमा के जगह पत्रकारों को मिल रहें हैं ,पिटाई झूठे केस और धमकियाँ।
इस मामले में भले ही मुख्यमंत्री ने संज्ञान ले लिये है और पुलिस जाँच कर रही है। लेकिन पत्रकारों में इस बात को लेकर काफी आक्रोश है कि राज्य बनने के बाद कई बार पत्रकारों पर फर्जी मामले दर्ज हुए ,धमकियाँ मिली। बल्कि कई बार पत्रकारों की पिटाई भी हुई ।इस घटना को लेकर ऐसोसिएशन के प्रदेश प्रभारी अमित सिन्हा,प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शंकर गुप्ता,प्रदेश उपाध्यक्ष मोहम्मद सईद,महासचिव सुनील पांडेय,प्रदेश सलाहकार नागेंद्र शर्मा,राघव सिहं,अमित मिश्रा,बसंत साहू,राँची प्रभारी संदीप जैन और अध्यक्ष कौशल आनंद ने कडी़ निंदा की एंव दोषियों को निलंबित करने की मांग की है.। आए दिन हो रहे पत्रकारों पर अत्याचार और दमन पर सभी पत्रकारों को एकजुट होकर पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए आंदोलित होकर अपने हक और अधिकार और सुरक्षा के लिए शीघ्र ही सड़कों पर उतर कर आवाज बुलंद करने की जरूरत है । आम जनता भी पत्रकारों के संघर्ष और आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देंगी क्यों कि आम जनता की आवाज बनकर पत्रकार उनकी सुरक्षा के लिए अपनी सुरक्षा की परवाह किए बगैर जनता की आवाज बनकर जनता की सुरक्षा के लिए आवाज बुलंद करते हैं । जनता भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकारों के आंदोलन संघर्ष और पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए हर संघर्ष में साथ है देने का मन बना लिया है। आम जनता का मानना है,
पत्रकार सुरक्षित ,आम जनता सुरक्षित
पत्रकार असुरक्षित, जनता असुरक्षित। अब पत्रकारों को पत्रकार सुरक्षा कानून के दिशा में संघर्ष करते हुए आगे बढ़े हुए सार्थक पहल करने की जरूरत है।
ए के मिश्र

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