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रामाकृष्णा फोर्जिंग के पदाधिकारी सेनापति को गिरफ्तारी के बाद सीधे अस्पताल भेजना वाकई कानूनी प्रक्रिया है या कुछ और ?  

रामाकृष्णा फोर्जिंग के पदाधिकारी सेनापति को गिरफ्तारी के बाद सीधे अस्पताल भेजना वाकई कानूनी प्रक्रिया है या कुछ और ?
कई सवाल उठ रहे हैं ,रामकृष्णा फोर्जिंग की कोर टीम के सदस्य शक्तिपदो सेनापति के गिरफ्तार होने के बाद , बिना कोर्ट में प्रस्तुत किए  सीधे एमजीएम अस्पताल भेज दिया गया जो एमजीएम अस्पताल में इलाजरत है। अस्पताल में लगातार इनका स्थान बदला जा रहा है, और पूरी वीआईपी सेवा दी जा रही है। पहले दिन तो आईसीयू में रखा गया, लेकिन, जैसे ही लहर चक्र में समाचार प्रकाशित किया गया कि वीआईपी ट्रीटमेंट और एमजीएम अधीक्षक उपाधीक्षक की भूमिका पर है खुफिया विभाग के निगाहें। उसके 1 घंटे बाद ही वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।  मजेदार बात है कि अब उसे नेत्र विभाग (ENT)में शिफ्ट कर दिया गया है। इसके पीछे का कारण वार्ड में मरीजों की संख्या ज्यादा होना बताया जा रहा है,लेकिन हकीकत क्या है यह सर्वविदित है।
गिरफ्तारी के बाद सीधे अस्पताल ले जाने को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है, और तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है।
उसे कौन सी बीमारी है? जिस कारण उसे गिरफ्तारी के बाद से न कोर्ट में प्रोड्यूस किया गया और न ही रिमांड पर लिया गया, सीधे अस्पताल भेज दिया गया,यह समझ से परे है और चर्चा चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि पहुंच पैरवी और पैसे के बल पर कुछ भी संभव है। वहीं मामले में उसका इलाज करने वाले डॉक्टर भी कुछ कहने से बच रहे हैं।

कानून के जानकारों  का कहना है कि पुलिस हिरासत में इलाज करा रहे बीमार व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में प्रस्तुत किया जाता है। अगर ऐसा नहीं हो सका तो कस्टडी में लिए गए प्रशासन द्वारा व्यक्ति की सूचना कोर्ट में दी जाती है ,और कोर्ट द्वारा एक मजिस्ट्रेट नियुक्त कर इलाजरत व्यक्ति के बयान लिया जाता है, और बयान लिए गए व्यक्ति के पास उपस्थित पदाधिकारी या जवान को एक कॉपी रिसीव कराया जाता है। परंतु इस केस में ऐसा नहीं होना जांच का विषय है l   सूत्रों की मानें तो इस केस में वरीय पदाधिकारियों को अपने स्तर से गहराई से जांच करनी चाहिए ताकि सेनापति को अवैध रूप से मदद करने वाले बेनकाब सके l
एके मिश्र

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