New Delhi. सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न पीठों के पास आंशिक सुनवाई वाले नियमित और अत्यावश्यक मामलों पर गैर-विविध दिनों यानी मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को भी सुनवाई करने का विकल्प होगा. शीर्ष अदालत के एक सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद उच्चतम न्यायालय में मामलों की सुनवाई के संबंध में जारी परिपत्र में कहा गया था कि बुधवार और बृहस्पतिवार को नियमित सुनवाई वाले मामले सूचीबद्ध नहीं होंगे.
हालांकि, पुरानी परंपरा के तहत शीर्ष अदालत की विभिन्न पीठ मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को नियमित मामलों की सुनवाई करती थीं, जिनमें आंशिक सुनवाई वाले नियमित मामले भी शामिल थे. वहीं, सोमवार और शुक्रवार को, जिन्हें विविध दिन भी कहा जाता है, विभिन्न पीठें नये मामलों के अलावा उन मामलों की सुनवाई करती थीं, जो नोटिस जारी होने के बाद उनके समक्ष रखे जाते हैं. न्यायमूर्ति खन्ना ने नोटिस जारी होने के बाद के मामलों की संख्या में कमी लाने के लिए गैर-विविध दिनों में सुनवाई के नियम में बदलाव किया था.
शीर्ष अदालत की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया था, अब से मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को नोटिस जारी होने के बाद के विविध मामलों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिनमें स्थानांतरण याचिकाएं और जमानत संबंधी मामले शामिल भी हैं. बुधवार और बृहस्पतिवार को नियमित सुनवाई वाला कोई भी मामला अगले आदेश तक सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा. परिपत्र में कहा गया था, विशेष पीठ या आंशिक सुनवाई वाले मामले, फिर चाहे विविध सुनवाई हो या नियमित सुनवाई, जिन्हें मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है, उन्हें भोजनावकाश के बाद के सत्र में या सक्षम प्राधिकारी के निर्देशानुसार सूचीबद्ध किया जाएगा.
शीर्ष अदालत के सूत्र ने कहा कि न्यायाधीशों के पास हर मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को अदालत की सुविधा के अनुसार भोजनावकाश के बाद के सत्र में आंशिक रूप से सुने गए नियमित या अत्यावश्यक नियमित मामलों” की सुनवाई करने का विकल्प होगा. प्रधान न्यायाधीश ने पिछला फैसला “नोटिस जारी होने के बाद के मामलों” का बोझ कम करने के लिए लिया था और अगर जरूरत पड़ी, तो दिसंबर 2024 के मध्य या उससे पहले स्थिति की समीक्षा की जाएगी. सूत्र ने बताया कि नोटिस के बाद के विविध मामलों और उनसे संबंधित मामलों की कुल संख्या करीब 37,317 (20,930 मुख्य मामले और 16,387 संबंधित मामले) है. उसने बताया कि नियमित मामलों और उनसे जुड़े मामलों की कुल संख्या लगभग 21,639 (10,988 मुख्य मामले और 10,651 संबंधित मामले) है.