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Supreme Court ने सहायक आचार्य नियुक्ति मामले में फैसला सुरक्षित रखा, अभ्यर्थियों ने हाइकोर्ट के फैसले को दी है चुनौती

New Delhi.सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड प्रारंभिक सहायक आचार्य संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2023 में सीटेट व पड़ोसी राज्य से टेट पास अभ्यर्थियों को शामिल करने के मामले में दायर विशेष लीव पिटीशन (एसएलपी) पर लगातार तीसरे दिन सुनवाई भी की. जस्टिस जेके महेश्वरी व जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने तीन दिन में 10 घंटे सुनवाई की. सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादी सीटेट अभ्यर्थी संघ की ओर से वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि सहायक आचार्यों की नियुक्ति परीक्षा में सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को शामिल करने का फैसला लेने का अधिकार राज्य सरकार को है.

बुधवार को झारखंड सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पक्ष रखते हुए पीठ को बताया कि सहायक आचार्य प्रतियोगिता परीक्षा में सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के शामिल होने से नियमावली व शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन नहीं होता है. इस मामले में झारखंड हाइकोर्ट का फैसला सही है. वहीं, प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण, वरीय अधिवक्ता वी मोहना व झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने प्रतिवादियों की दलील का विरोध किया. उनकी ओर से बताया गया कि सीटेट उत्तीर्ण व पड़ोसी राज्यों से टेट पास करनेवाले झारखंड के स्थानीय निवासी अभ्यर्थियों को सहायक आचार्य प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल करने का हाइकोर्ट ने जो आदेश दिया है वह सही नहीं है. इस तरह का नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार हाइकोर्ट के पास नहीं है. उल्लेखनीय है कि जेटेट पास अभ्यर्थी परिमल कुमार व अन्य 1600 प्रार्थियों की ओर से एसएलपी दायर की गयी है. उन्होंने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की है.

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