आनंद मार्ग, चक्रधरपुर एवं पूर्णिमा नेत्रालय के सहयोग से नीलकंठ दिवस के अवसर पर 10 रोगियों का निशुल्क ऑपरेशन एवं ग्रामीणों के बीच एक सौ निशुल्क पौधा का वितरण
चक्रधरपुर,12 फरवरी 2022.
आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से चक्रधरपुर,आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल शांति नगर सिलपोरी में नीलकंठ दिवस मनाया गयाl इस अवसर पर जमशेदपुर आनंद मार्ग टीम के द्वारा चक्रधरपुर सीलपोरी शांति नगर में नीलकंठ दिवस के अवसर पर मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए जांच शिविर का आयोजन पुर्णिमा नेत्रालय के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 80 लोगों की आंखों की जांच हुई l इसमें लगभग 35 रोगी मोतियाबिंद के लिए चयनित हुए l जिनका ऑपरेशन 15 फरवरी को पूर्णिमा नेत्रालय में किया जाएगाl
साथ ही पिछले कैंप में चयनित 10 लोगों का ऑपरेशन आज पूर्णिमा नेत्रालय में किया गया एवं नीलकंठ दिवस के अवसर पर लगभग एक सौ लोगों के बीच फलदार पौधे जैसे अमरूद, पपीता कटहल, आंवला वं फूल के पौधे का वितरण किया गयाl
इस कार्यक्रम में कृष्णा चंद्र भूमिज , मंटू प्रधान ,राधेश्याम प्रधान ,लोकनाथ सामत मुंडा, लखन जमुदा , लीव लाल बोदरा, गोमा गोप, पप्पू ,वन सिंह, लाल मोहन दास अन्य लोगों का भी सहयोग रहा l
ज्ञात हो कि 12 फरवरी 1973 को आनंद मार्ग के संस्थापक गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी को बिहार के पटना बांकीपुर सेंट्रल जेल में इंदिरा की तानाशाही कांग्रेस सरकार के द्वारा चिकित्सा के नाम पर दवा के रूप में जहर दिया गया था, इसका असर पूरे शरीर पर प्रकृति के अनुकूल पड़ाl श्री श्री आनंदमूर्ति जी के पूरे शरीर सिकुड़ गई आंखों की रोशनी चली गई, सर के बाल उड़ गए, सभी दांत झड़ गए l उसके बावजूद भी गुरु श्री श्री आनंद मूर्ति जी जीवित रहे 12 फरवरी के दिन आनंद मार्गी पूरे विश्व में नीलकंठ दिवस के रूप में मनाते हैंl इस ऐतिहासिक दिन के अवसर पर आनंद मार्ग के संस्थापक के जीवन के विषय में बताते हुए सुनील आनंद ने कहा कि श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने विष का पान कर दुनिया को यह बतला दिया कि दुनिया मे कितनी कड़ी से कड़ी मुसीबत आए उसका का सामना हर नैतिकवान पुरुष को करना होगा ना कि मैदान छोड़कर भाग जाना होगाl मुसीबत को उपहार के रूप में स्वीकार करना होगा तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है lसुख और दुख दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ,जहां सुख है वहां दुख भी है केवल सुख रहने से ही जीवन का अनुभव कभी नहीं हो सकता l दुख का आना भी मनुष्य के जीवन में जरूरी है क्योंकि इससे मनुष्य को तथा आने वाली पीढ़ी को मुसीबत का सामना कैसे किया जाए सीखने का मौका मिलता हैl