जमशेदपुर. एमजीएम मेडिकल कॉलेज/अस्पताल में चार दिनों से जारी डॉक्टरों की हड़ताल अंततः खत्म हो गईl शुक्रवार दोपहर बाद ओपीडी सामान्य दिनों की तरह खुल गईl बताते चलें कि एमजीएम के पी आई सी यू वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर कमलेश उरांव के साथ मारपीट की गई थी, आरोप है कि 5 साल की बच्ची की मौत से आक्रोशित परिजनों ने डॉक्टर के कक्ष में घुसकर उन पर जानलेवा हमला किया था, उसके बाद से डॉक्टर आरोपियों पर कार्यवाही की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थेl
पीजी समेत अन्य डॉक्टरों के हड़ताल पर रहने के कारण मेडिसिन,ऑर्थो और सर्जरी ओपीडी पूरी तरह बंद रहा, गायनिक और चाइल्ड डिपार्टमेंट को भी बाद में बंद करा दिया गयाl डॉक्टरों की मांग थी कि दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी की जाए,लिहाजा आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी, लेकिन उन गरीब मरीजों की सुध किसी ने भी नहीं ली जो हड़ताल के कारण बिना इलाज कराए ही घर वापस चले गएl
ध्यातव्य हो कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज/ अस्पताल कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है,यहां अधिकतर गरीब मरीज ही इलाज कराने के लिए आते हैंl हड़ताल के कारण हजारों मरीज इलाज से वंचित हो गए, इन मरीजों में से न जाने कितने लोग स्वर्ग सिधार गए होंगे!
बहरहाल यह सत्य है कि भारत में डॉक्टरों को भगवान का दर्जा प्राप्त है, किसी भी डॉक्टर पर हमला करना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है लेकिन हजारों लोगों को इलाज से वंचित रखना भी कहीं से न्यायोचित नहीं है? ज्ञातब्य है कि शहर में डेंगू महामारी का रूप ले चुका है साथ ही मौसमी बीमारियों ने भी लोगों को हलकान कर रखा है, अब ऐसे में पूरी चिकित्सीय व्यवस्था को ठप कर देना कहां तक उचित है?
सूबे के मुखिया रात -दिन गरीबों के कल्याण की बात करते हैं,झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री जमशेदपुर के रहने वाले हैं, इसके बावजूद इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो जाना समझ से परे हैl यह पूरी व्यवस्था पर सवाल है और उन लोगों से भी सवाल है जो गरीबों के नाम पर राजनीति करते हैंl निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले माननीय सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था से पूर्णतया वाकिफ है, आधा से ज्यादा उपकरण हर समय खराब रहते हैं,हर दिन दवाईयों के अभाव की शिकायत होती है, कभी रोटी बनाने वाली मशीन खराब हो जाती है तो चावल परोस दिया जाता है, यह डायबिटीज के मरीजों के लिए अलग समस्या हैl सूत्र बताते हैं कि अधिकांश सरकारी डॉक्टर निजी नर्सिंग होम्स में सेवा दे रहे हैं,सरकारी अस्पताल आर्थिक दोहन का केंद्र बन गए हैंl गरीब एवं जरूरतमंद लोगों के इन जीते- जागते सवालों का जवाब आज तक नहीं मिल पाया है?
अजीब रस्म है चारागरों ( कल्याण करने वाले/ इलाज करने वाले)की महफिल में,
लगा के जख्म नमक का मसाज करते हैं,
गरीबे शहर तरसता है एक निवाले को,
अमीरे शहर में कुत्ते भी राज करते हैं,
अरविन्द