जमशेदपुर लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस एवं झामुमो नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे है एवं चुनाव में भीतरघात एवं भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो से मिली भगत का आरोप एक-दूसरे नेता पर लगा रहे हैं.
झामुमो प्रत्याशी समीर मोहंती ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कांग्रेस के सहयोगी दल झामुमो के प्रत्याशी समीर मोहंती के बजाय भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो की जीत के लिए काम किया.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लोगों का कहना है कि समीर मोहंती खुद तन-मन-धन से इस चुनाव को नहीं लड़ रहे थे.
हालांकि अब बात-विवाद बढ़ने के बाद समीर मोहंती ने कांग्रेस जिला अध्यक्ष पर लगे आप पर यू-टर्न ले लिया है.
कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि समीर मोहंती खुद एक मोहरा के रूप में चुनाव लड़ रहे थे, जिसका परिणाम है कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो से पिछड़ गए.
झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी समीर अपनी हार एवं मिडिया में आए विद्युत वरण महतो से नजदीकी को छिपाने के लिए कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पर बिना सिर-पैर के झूठा आरोप लगा रहे हैं .
कांग्रेस के नेता दबे जुबान यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के आला कमान प्रत्याशी चयन में चूक गए, जिसका परिणाम रहा की विद्युत वरण महतो जैसे कमजोर समझे जाने वाले प्रत्याशी जमशेदपुर लोकसभा सीट से हैट्रिक मारने में सफल रहे.
कांग्रेस का आरोप है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी समीर मोहंती उन विधानसभा क्षेत्र में भी पीछे गए हैं जहां झामुमो के विधायक ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कराया था .
झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए भी यक्ष प्रश्न है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकगण भी अपने-अपने क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी समीर मोहंती को लीड दिलाने में क्यों असफल रहे?
क्या आने वाला विधानसभा चुनाव में झामुमो के कुछ विधायक किसी अन्य दल से टिकट के जुगाड़ में तो नहीं आ गए हैं !