Jamshedpur. हमारे भोजन में आलू की बड़ी भूमिका है. भोजन की थाली आलू बिन अधूरी है. आलू की चर्चा इसलिए अधिक हो रही है, क्योंकि इस मौसम में अमूमन आलू की क़ीमत 20 रुपये प्रति किलो रहते हैं. लेकिन अचानक इसके भाव में इतना उछाल आया कि ये 45-50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया. आलू ने बंगाल, ओडिशा और झारखंड में सियासत को भी गरमा दिया है, क्योंकि पश्चिम बंगाल ने ओडिशा, असम और झारखंड तक भेजे जाने वाले आलू के खेपों पर प्रतिबन्ध लगा रखा है. इस मसले पर ओडिशा और बंगाल आमने सामने हैं. ओडिशा सरकार के आग्रह के बावजूद ममता सरकार के फैसले नहीं बदले हैं. हालांकि, इस मामले में अब तक झारखंड की ओर से कुछ भी नहीं कहा गया है.
बंगाल ने राज्य की सीमाओं पर आलू लदे ट्रकों को रोका
बंगाल सरकार के फैसले के बाद जो ट्रक आलू की खेप लेकर ओडिशा, असम या झारखंड जा रहे थे, उन्हें राज्य की सीमाओं पर ही रोक दिया गया. इसे लेकर व्यवसायी संगठनों ने अनिश्चितकालीन आन्दोलन शुरू कर दिया था, जिसे बाद में राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद वापस ले लिया गया.
झारखंड-ओडिशा में आलू की कीमतों में भारी उछाल
पश्चिम बंगाल की सरकार के इस फ़ैसले ने झारखण्ड और ख़ासतौर पर ओडिशा जैसे राजों में आलू की क़ीमतों में बहुत ज़्यादा उछाल दर्ज किया है. इस फ़ैसले का असर असम और छत्तीसगढ़ में भी आलू की क़ीमतों पर पड़ा है.
ओडिशा का फैसला, अब बंगाल से नहीं खरीदेंगे आलू
आलू की क़ीमतों में नियंत्रण को लेकर 2 अगस्त को ओडिशा सरकार ने सचिवालय में व्यवसायी संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलायी थी. ओडिशा के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री कृष्ण चन्द्र पात्रा ने बैठक में बताया कि मौजूदा समय में उनके राज्य में आलू 35 से 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. बैठक के बाद पात्रा ने घोषणा की कि ओडिशा अब कभी बंगाल से आलू नहीं खरीदेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि नीति आयोग की बैठक के दौरान ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी इस बारे में चर्चा की. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी अलग से ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर आलू की आपूर्ति बहाल करने का अनुरोध किया. लेकिन मामला जस का तस बना हुआ है. ओडिशा में आलू पर गरमाई सियासत की आंच विधानसभा के सत्र में भी देखने को मिली जब विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया. विधानसभा में बोलते हुए पात्रा ने सदन को बताया कि ओडिशा सरकार उत्तर प्रदेश से आलू मंगवाने का प्रयास कर रही है और पश्चिम बंगाल पर निर्भरता कम कर रही है.
जानें आलू के उत्पादन का गणित
भारत में आलू के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है और पूरे देश में आलू के उत्पादन का 30 प्रतिशत यहीं होता है. पश्चिम बगाल 22.97 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है. पश्चिम बंगाल के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सालाना लगभग 110 लाख टन आलू की पैदावार होती है. जिसमें सिर्फ़ पश्चिम बंगाल में ही 5 लाख टन की खपत होती है. उत्तरी दिनाजपुर, कूचबिहार, हूगली, पूर्वी बर्दवान, बांकुड़ा, बीरभूम और जलपाईगुड़ी ऐसे ज़िले हैं जहां आलू की फ़सल सबसे ज़्यादा होती है.