मुंबई. युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के संरक्षण के लिए मुंबई में एकत्र किए गए करोड़ों रुपये के दुरुपयोग के मामले की गहनता से जांच का आदेश मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस को दिया है. कोर्ट के जज एसपी शिंदे ने मुंबई पुलिस की ओर इस मामले की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद किरीट सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
जानकारी के अनुसार किरीट सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में बेहद अहम भूमिका निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को स्कैप करने के बजाय उसे संरक्षित करने के लिए मुंबई के विभिन्न स्थानों से राहत राशि एकत्र करने की पहल की थी. इससे करीब 57 करोड़ का फंड एकत्र हुआ था. पूर्व सैनिक बबन भोंसले ने पिछले वर्ष 7 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराने के बाद ट्रॉम्बे पुलिस ने मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि किरीट सोमैया और उनके पुत्र ने धन का गबन किया. आगे की जांच में पता चला कि आरोपित सोमैया पिता-पुत्र ने नागरिकों से करोड़ों रुपये वसूले थे. इस मामले की छानबीन के बाद मुंबई पुलिस की वित्तीय अपराध शाखा ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें दावा किया गया कि शिकायतकर्ता ने गलतफहमी के तहत शिकायत दर्ज की थी.
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एस पी शिंदे ने इस क्लोजर रिपोर्ट को गंभीरता से लिया और कहा कि नोटिस जांच में पता चला कि आरोपित सोमैया पिता-पुत्र ने नागरिकों से करोड़ों रुपये वसूले थे. अगर पुलिस का दावा है कि यह कोई घोटाला नहीं है तो सोमैया पिता-पुत्र का एकत्र किया गया पैसा कहां गया? पुलिस ने इस बात का कोई सबूत क्यों नहीं पेश किया कि पैसा राज्यपाल के कार्यालय या सरकार के पास जमा किया गया था? ऐसे सवाल उठाते हुए कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और किरीट सोमैया तथा नील सोमैया की गहनता से जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.