New Delhi.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेधावी विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना को बुधवार को मंजूरी दे दी. पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना के अनुसार, गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थानों (क्यूएचईआई) में दाखिला लेने वाला कोई भी विद्यार्थी पाठ्यक्रम से संबंधित ट्यूशन शुल्क और अन्य खर्चों की पूरी राशि के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से बिना किसी जमानत या गारंटर के ऋण हासिल करने के लिए पात्र होगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाने के लिए यह एक बड़ा प्रोत्साहन है। मंत्रिमंडल ने युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दे दी है. यह युवा शक्ति को सशक्त बनाने और हमारे राष्ट्र के लिए एक उज्ज्वल भविष्य के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस योजना के लिए 3,600 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचा (एनआईआरएफ) के आधार पर देश के शीर्ष 860 क्यूएचईआई में प्रवेश पाने वाले छात्रों को शिक्षा ऋण की सुविधा दी जाएगी. इसमें हर साल 22 लाख से अधिक छात्र शामिल होंगे.
इस योजना में एनआईआरएफ के समग्र, श्रेणी-विशिष्ट और विषय विशिष्ट रैंकिंग में शीर्ष 100 में स्थान रखने वाले सरकारी एवं निजी सभी एचईआई शामिल हैं. एनआईआरएफ रैंकिंग में 101-200 में स्थान रखने वाले राज्य सरकार के उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) और केंद्र सरकार द्वारा संचालित सभी संस्थानों को इसमें शामिल किया गया है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘यह सूची हर साल नवीनतम एनआईआरएफ रैंकिंग का इस्तेमाल करके अद्यतन की जाएगी, और शुरुआत में 860 योग्य क्यूएचईआई के साथ 22 लाख से अधिक छात्रों को शामिल किया जाएगा, ताकि वे चाहें तो पीएम-विद्यालक्ष्मी का लाभ उठा सकें. साढ़े सात लाख रुपये तक की ऋण राशि के लिए, छात्र बकाया चूक के 75 प्रतिशत की ऋण गारंटी के लिए भी पात्र होगा. बयान में कहा गया, ‘‘इससे बैंकों को इस योजना के तहत विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने में सहायता मिलेगी. इसके अलावा, जिन विद्यार्थियों की वार्षिक पारिवारिक आय आठ लाख रुपये तक है और वे किसी अन्य सरकारी छात्रवृत्ति या ब्याज छूट योजनाओं के तहत लाभ के पात्र नहीं हैं, उन्हें 10 लाख रुपये तक के ऋण पर अधिस्थगन अवधि के दौरान तीन प्रतिशत की ब्याज छूट भी प्रदान की जाएगी.
हर वर्ष एक लाख विद्यार्थियों को ब्याज छूट भी
इसमें कहा गया, ‘‘हर वर्ष एक लाख विद्यार्थियों को ब्याज छूट सहायता दी जाएगी. उन विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो सरकारी संस्थानों में अध्ययनरत हैं और जिन्होंने तकनीकी, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का विकल्प चुना है. वर्ष 2024-25 से 2030-31 के दौरान 3,600 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रावधान किया गया है और इस अवधि के दौरान सात लाख नये छात्रों को इस ब्याज छूट का लाभ मिलने की उम्मीद है. उच्च शिक्षा विभाग का एक एकीकृत पोर्टल ‘‘पीएम-विद्यालक्ष्मी’’ होगा, जिस पर विद्यार्थी सभी बैंकों द्वारा उपयोग की जाने वाली सरलीकृत आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षा ऋण के साथ-साथ ब्याज छूट के लिए आवेदन कर सकेंगे. ब्याज छूट का भुगतान ई-वाउचर और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) वॉलेट के माध्यम से किया जाएगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह योजना गरीब और मध्यम वर्ग के लाखों छात्रों को सशक्त बनाएगी.