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JRD Tata Oration in XLRI: टाटा ग्रुप के डायरेक्टर बोले, रतन टाटा के फैसलों में हमेशा नेशन फर्स्ट रहा, चाहे कितना भी आर्थिक नुकसान क्यों न उठाना पड़े, टाटा के बिजनेस एथिक्स पर भी बोले, पढ़ें पूरा व्याख्यान

  • टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन, एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर एस जॉर्ज, डीन एडमिन प्रो. संजय पात्रो और जेआरडी टाटा बिजनेस एथिक्स के चेयरपर्सन फादर कुरुविला पांडिकट्टू भी थे कार्यक्रम में शामिल.

Jamshedpur. एक्सएलआरआइ जमशेदपुर में शुक्रवार को बिजनेस एथिक्स पर 32वें जेआरडी टाटा ऑरेशन का आयोजन किया गया. टाटा ग्रुप के डायरेक्टर हरीश भट्ट बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन, एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर एस जॉर्ज, डीन एडमिन प्रो. संजय पात्रो और जेआरडी टाटा बिजनेस एथिक्स के चेयरपर्सन फादर कुरुविला पांडिकट्टू के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

इस दौरान उन्होंने सही काम करना – रतन टाटा की विरासत विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि टाटा ग्रुप के डायरेक्टर ने कहा कि रतन टाटा अपने कड़े फैसलों के लिए हमेशा जाने जाते थे. उनके फैसलों के केंद्र में हमेशा नेशन फर्स्ट रहता था. लोगों के साथ कमिटमेंट को हमेशा उन्होंने निभाया, भले इसके लिए आर्थिक रूप से नुकसान ही उठाना क्यों न हो, लेकिन एथिक्स और मोरल वैल्यूज के साथ कभी समझौता नहीं किया. विश्वास का दूसरा नाम है टाटा. हमने यह विश्वास कमाया है. यह एक दिन की प्रैक्टिस में नहीं, बल्कि इसके लिए कंपनी के बड़े अधिकारियों से लेकर अंतिम पायदान के कर्मचारियों ने पूरी निष्ठा, ईमानदारी व नैतिक मूल्यों के साथ अनवरत कार्य किया.
टाटा फाइनांस में करीब 500 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ, पर लोगों के पैसे डूबने नहीं दिया.

हरीश भट्ट ने एक उदाहरण के तौर पर कहा कि वर्ष 2000 में टाटा फाइनांस में करीब 500 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ. ग्राहकों में अपने पैसे डूबने को लेकर डर सता रहा था. बोर्ड मीटिंग में इसकी जानकारी होने के साथ ही रतन टाटा ने ही सबसे पहले खुल कर कहा कि टाटा फाइनांस में फ्रॉड हुआ है. लेकिन, ग्राहकों को डरने की आवश्यकता नहीं. उनके मेहनत की एक-एक पाई को टाटा ग्रुप वापस करेगा. इसके बाद टाटा ग्रुप ने करीब 600 करोड़ रुपये देकर एक-एक ग्राहक के पैसे वापस किए. इसी प्रकार नैनो को लेकर रतन टाटा ने घोषणा किया था कि वे उपभोक्ताओं को एक लाख रुपये में नैनो कार देंगे. लेकिन, किसी वजह से प्लांट पश्चिम बंगाल में नहीं लग कर गुजरात में लगा. नये सेटअप के साथ ही वर्षों तक प्रोजेक्ट के लटकने के बाद नैनो मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ जाने के बाद भी रतन टाटा ने नैनो की कीमत नहीं बढ़ाई. उन्होंने पब्लिक से एक लाख रुपये में नैनो कार देने का जो वायदा किया था, उसे पूरा किया.

इसी प्रकार टाटा इंडिका जब लांच किया गया तो शुरुआती दिनों में इसमें कई प्रकार की परेशानियां आयी. इंजीनियरिंग से लेकर कई तकनीकी दिक्कतें आई. उसे ठीक किया गया. उसके बाद उसे फिर से री लांच किया गया. लाख परेशानियां आने के बाद भी उन्होंने ग्राहकों का साथ कभी नहीं छोड़ा. भारत और इस देश के लोगों के प्रति उनका कमिटमेंट ही उन्हें रतन टाटा बनाता है. सुपर कंप्यूटर की शुरुआत जब हुई तो भारत इसमें पीछे था, लेकिन टाटा ने इस क्षेत्र में भी शानदार कार्य करते हुए टाटा एका सुपर कंप्यूटर बनाया जो 2007 में फास्टेस्ट सुपर कंप्यूटर की रैंकिंग में दुनिया में चौथा स्थान रखता है.

गौरतलब है कि एक्सएलआरआइ दूरदर्शी उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष जेआरडी टाटा के नाम पर वार्षिक जेआरडी टाटा व्याख्यान पिछले तीन दशकों से करता रहा है. यह नैतिक व्यावसायिक आचरण के सिद्धांतों को बनाए रखने और उनका प्रचार-प्रसार करने का प्रयास करता है.

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